इस कहानी में एक कहवाघर का वर्णन है जो सूरत नगर में स्थित है, जहाँ विभिन्न देशों के यात्री आते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। एक दिन, वहाँ एक फारसी विद्वान आया जो सृष्टि के प्रथम कारण पर चर्चा कर रहा था और उसने यह सोचने लगा कि कोई उच्च सत्ता नहीं है। उसने एक अफ्रीकी गुलाम से पूछा कि क्या भगवान है, तो गुलाम ने अपनी लकड़ी की मूर्ति दिखाते हुए कहा कि यही उसका भगवान है। इस पर उपस्थित लोग विभिन्न धार्मिक विचारों का आदान-प्रदान करने लगे, जैसे कि ब्राह्मण ने ब्रह्म को सच्चा भगवान बताया, यहूदी ने इस्रायल के भगवान का, और एक कैथोलिक ने चर्च द्वारा पहुँचने का दावा किया। एक प्रोटेस्टेंट पादरी ने कहा कि केवल गॉस्पेल के अनुसार सेवा करने वाले ही बचेंगे। इस विवाद में एक चीनी, जो कन्फ्यूशियस का शिष्य था, चुप रहा। जब सभी ने उससे अपनी राय पूछी, तो उसने कहा कि लोगों का अहंकार ही उन्हें सहमत नहीं होने देता और एक कहानी सुनाने का प्रस्ताव रखा। उसने बताया कि वह चीन से एक अंग्रेजी स्टीमर पर आया था, जो सुमात्रा द्वीप पर रुका था। यह कहानी आगे बढ़ती है, जो धर्म और सहिष्णुता के बारे में महत्वपूर्ण संदेश देती है। चर्चित यात्राकथाएं - 4 by MB (Official) in Hindi Travel stories 3 2.9k Downloads 6.9k Views Writen by MB (Official) Category Travel stories Read Full Story Download on Mobile Description सूरत नगर में एक कहवाघर था जहाँ अनेकानेक यात्री और विदेशी दुनिया भर से आते थे और विचारों का आदान-प्रदान करते थे। एक दिन वहाँ फारस का एक धार्मिक विद्वान आया। पूरी जिन्दगी ‘प्रथम कारण’ के बारे में चर्चा करते-करते उसका दिमाग ही चल गया था। उसने यह सोचना शुरू कर दिया था कि सृष्टि को नियन्त्रण में रखनेवाली कोई उच्च सत्ता ही नहीं है। इस व्यक्ति के साथ एक अफ्रीकी गुलाम भी था, जिससे उसने पूछा-बताओ, क्या तुम्हारे खयाल में भगवान है? गुलाम ने अपने कमरबन्द में से किसी देवता की लकड़ी की मूर्ति निकाली और बोला - यही है मेरा भगवान जिसने जिन्दगी भर मेरी रक्षा की है। गुलाम का जवाब सुनकर सभी चकरा गये। उनमें से एक ब्राह्मण था। वह गुलाम की ओर घूमा और बोला - ब्रह्म ही सच्चा भगवान है। एक यहूदी भी वहाँ बैठा था। उसका दावा था - इस्रायलवासियों का भगवान ही सच्चा भगवान है, वे ही उसकी चुनी हुई प्रजा हैं। एक कैथोलिक ने दावा किया - भगवान तक रोम के कैथोलिक चर्च द्वारा ही पहुँचा जा सकता है। Novels चर्चित यात्राकथाएं इब्नबतूता (1304-1368-69) मोरक्को का निवासी, 22 वर्ष की आयु में यात्रा पर प्रस्थान। 28 वर्ष तक अरब, पूर्वी अफ्रीका, भारत, चीन, फारस, दक्षिणी रूस, मिस्र... More Likes This मीरा प्रेम का अर्थ - 6 - और क्या क्या छुपाया है??? by sunita maurya मुनस्यारी( उत्तराखण्ड) यात्रा-२ by महेश रौतेला LONDON TOUR by Arun Singla कोमल की डायरी - 1 - नदिया धीरे बहो by Dr. Suryapal Singh चार धाम की यात्रा : उत्तराखंड - भारत by Arun Singla WORLD TOUR WITH ME - 1 by Arun Singla सिक्किम यात्रा - 1 by महेश रौतेला More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories