मेरे हिस्से की धूप - 2 Zakia Zubairi द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Mere hisse ki dhoop by Zakia Zubairi in Hindi Novels
मेरे हिस्से की धूप ज़किया ज़ुबैरी (1) गरमी और उस पर बला की उमस! कपड़े जैसे शरीर से चिपके जा रहे थे। शम्मों उन कपड़ों को संभाल कर शरीर से अलग करती, कही...