कहानी "मंगल सूत्र" में देवकुमार, जो अपने बच्चों की शिक्षा और विवाह में सफल रहा है, अपने जीवन के कर्तव्यों से मुक्त समझता है। उसने बड़े बेटे संतकुमार को वकील बना दिया, छोटे बेटे साधुकुमार को बी.ए. की डिग्री दिलवाई, और छोटी बेटी पंकजा के विवाह के लिए पैसे दिए। वह अपने जीवन को ईश्वरचिंतन में समर्पित करना चाहता है और भोग-विलास से दूर रहकर साहित्य की सेवा में लगा रहता है। हालांकि, हाल के दिनों में उसे यह महसूस होने लगा है कि साहित्य प्रेमियों में उसकी पहले जैसी भक्ति नहीं रही। उसने दो नई पुस्तकें लिखी हैं, लेकिन उनका आदर नहीं हुआ, जबकि पहले की रचनाएँ बहुत सराही गई थीं। देवकुमार को यह महसूस होता है कि साहित्य जगत उसके प्रति उदासीन हो गया है, और यह स्थिति उसे चिंतित करती है। वह अपने साहित्यिक मित्रों से ढाढ़स पाने की कोशिश करता है, लेकिन उन्हें संतोष नहीं मिलता। देवकुमार की आत्मा की विशालता और आत्म-सम्मान के प्रति उसकी प्रतिबद्धता कहानी के महत्वपूर्ण पहलू हैं, जो उसे भौतिक सफलता से परे ले जाते हैं। मंगलसूत्र - 1 by Munshi Premchand in Hindi Fiction Stories 34 23.4k Downloads 89k Views Writen by Munshi Premchand Category Fiction Stories Read Full Story Download on Mobile Description प्रेमचंद द्वारा लिखित मंगलसूत्र उपन्यास उनका अपूर्ण उपन्यास है। 1936 ई. में अपने अंतिम दिनों में प्रेमचंद मंगलसूत्र उपन्यास लिख रहे थे किंतु वे उसे पूर्ण न सके। इस उपन्यास का अंतिम रूप क्या होता, यह तो कहना कठिन है तो भी ऐसी प्रतीत होता है कि वे इसकी रचना आत्मकथात्मक रूप में करना चाहते थे। मंगलसूत्र में एक साहित्यिक के जीवन की समस्या गयी है। इसी दृष्टि से यह उपन्यास प्रेमचंद्र के अन्य उपन्यासों से भिन्न है। इसके चार अध्यायों में देव साहित्य-साधना में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। उन्हें कुछ व्यसन भी लगे हुए हैं। इन दोनों कारणों से उनका भौतिक जीवन तो सुखी नहीं होता। हाँ, उन्हें ख्याति अवश्य प्राप्त होती है। उनके दो पुत्र, वकील संतकुमार और मधुकुमार हैं। ज्येष्ठ पुत्र संतकुमार जीवन में सुख और ऐश्रर्य चाहता है और पिता की जीवनदर्शन का समर्थन नहीं करता। छोटा पुत्र उनके विचारों और आर्दशों से सहमत है। वह भी पिता की भाँति आदर्शवादी है। प्रेमचंद्र ने देवकुमार को जीवन के संघर्षों के फलस्वरूप स्वनिर्धारित आदर्श से विचलित होता हुआ सा चित्रित किया है। भविष्य में क्या होता, इसका अनुमान मात्र प्रेमचंद्र की पिछली कृतियों के आधार पर किया जा सकता है। देवकुमार की एक पुत्री पंकजा भी है, जिसका विवाह हो जाता है। Novels मंगलसूत्र प्रेमचंद द्वारा लिखित मंगलसूत्र उपन्यास उनका अपूर्ण उपन्यास है। 1936 ई. में अपने अंतिम दिनों में प्रेमचंद मंगलसूत्र उपन्यास लिख रहे थे किंतु वे उस... More Likes This अतीत का साया - 1 by Kishanlal Sharma Rebirth of my Innocent Wife - 1 by Rani prajapati Reborn Agent Queen ka - 4 by Dark Queen डोनर गर्ल - 1 by S Sinha यह मैं कर लूँगी - भाग 1 by अशोक असफल बन्धन प्यार का - 34 by Kishanlal Sharma Love Blossom Devil's Unwanted Wife - 1 by Bhumika Prajapati More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories