कहानी "आइना सच नहीं बोलता" के भाग 28 में नंदिनी एक कठिन रात का सामना कर रही है। वह खुद को बेहद अकेला महसूस करती है और उसके मन में संदेह है कि वह अपनी नई जिम्मेदारियों को अकेले कैसे संभालेगी। उसकी माँ की बातें उसके दिमाग में घूमती हैं, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं के लिए काम करना कठिन है। लेकिन नंदिनी हार मानने को तैयार नहीं है और ठान लेती है कि उसे कुछ करना होगा। वह दीपक के प्रति अपनी भावनाओं की जटिलता का सामना करती है, जो उसे अपमानित करता है और उसकी आत्मा को तोड़ता है। उसकी यादों में उसके पिता और भाई की बातें भी हैं, जो उसकी विदाई पर उसे अकेला छोड़ने की सोच रहे हैं। यह सब उसे यह सोचने पर मजबूर करता है कि पुरुषों की सोच उसे कमजोर बना रही है। एक गहरी साँस लेकर, नंदिनी अपने आपको संभालने की कोशिश करती है और अपने आस-पास की खूबसूरती में खो जाती है। अगले दिन, अमिता ने सभी जिम्मेदारियाँ संभालने का निर्णय लिया है, जो नंदिनी की मदद करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है। कहानी नंदिनी की संघर्ष और उसके आत्मबल को उजागर करती है, जबकि वह अपने अधिकारों के लिए खड़ी होने की कोशिश कर रही है। आइना सच नही बोलता - २८ by Neelima Sharma in Hindi Fiction Stories 23.8k 3.2k Downloads 11.9k Views Writen by Neelima Sharma Category Fiction Stories Read Full Story Download on Mobile Description क्यों वह अभी तक दीपक की आस मन से लगाए है वह तो शायद उसे कभी याद भी नहीं करता होगा फिर वह क्यों नहीं उसे अपने दिमाग से निकाल देती दीपक अगर होता भी तो उसकी इस स्थिति पर उसे अपमानित करने का मौका नहीं चूकता। वह तो उसमे बची खुशी हिम्मत को भी तोड़ देता। वही तो वह हमेशा करता रहा। शायद इसलिए ताकि जब वह उसे छोड़ कर जाये नंदिनी प्रतिवाद ना कर सके। अपने अधिकार के लिए लड़ ना सके। ओह्ह तो इसलिए वह हमेशा उसे झिड़कता रहा। संसार की हर वह स्त्री जिसे नीचा दिखाया जाता है अपमानित किया जाता है वह उसका मनोबल तोड़ने के लिए होता है ताकि वह अपने अधिकारों के लिए खड़ी ना हो सके। मर्दों को उनकी गलतियाँ ना बता सके उनके सामने बोल ना सके। रात के अँधेरे में खुद की असहायता ने उसे एक बहुत बड़े सच की रौशनी दिखाई। उसे दीपक का वह सौम्य और स्नेहिल रूप भी याद आया और कटु रूप भी। Novels आइना सच नहीं बोलता “रिश्ते सीमेंट और ईंटों की मज़बूत दीवारों में क़ैद हो कर नहीं पनपते... उन्हें जीने के लिये खुली बाहों का आकाश चाहिये। क्या विवाह हो जाना ही एक स्त्री... More Likes This उजाले की राह by Mayank Bhatnagar Operation Mirror - 3 by bhagwat singh naruka DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 by Anipayadav वाह साहब ! - 1 by Yogesh patil मेनका - भाग 1 by Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 by S Sinha RAJA KI AATMA - 1 by NOMAN More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories