Dhara - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

धारा - 13

धारा अपना सिर पकड़े बैठी थी और देव अपनी हंसी दबाए ! जिसे वो ज्यादा देर तक कंट्रोल नही कर पाया और अंततः हंस पड़ा !
धारा ने उसे खा जाने वाली नज़रो से देखा तो उसने जैसे-तैसे अपने आप को रोका और बोला, " तुमने कितनी मेहनत से चाभी ढूंढी, उसके बाद लॉक खोला फिर वो सीडी लैपटॉप में लगाई अब पासवर्ड ढूंढो !!

धारा की आंखों में आंसू आ गए ! देव ने जब देखा तो उसे खुद पर गुस्सा आया! बेचारी धारा कितनी मेहनत से उसने सब किया था अब एक ओर नई मुसीबत सामने आ गयी !

धारा अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और हॉल में इधर से उधर चक्कर लगाते हुए कुछ सोचने लगी !
एकाएक उसके चेहरे पर चमक आ गयी ! उसने देव को आवाज़ लगाई !

देव बाहर आकर," क्या हुआ..??"

"मैं मार्केट जा रही हूँ कुछ सामान लाना है !!तब तक तुम घर का अच्छे से झाड़ू लगाकर खाने की तैयारी कर लो !" बोलकर धारा ने बैग उठाया और बाहर निकल आयी ! बाहर आकर उसने घर लॉक किया और मार्किट चली गयी !

वास्तव में तो धारा किसी सॉफ्टवेयर इंजीनियर से मिलने गयी थी जो सीडी के पासवर्ड को ब्रेक कर सकता हो ! पर वहां भी निराशा ही हाथ लगी ! क्योंकि उसने बताया कि "किसी टेक्निकल जीनियस का काम है इसमें पासवर्ड सेट करने का ! इसे वही खोल सकता है अब तो या फिर वो जिसे पासवर्ड पता हो !!"


धारा हताश हो घर लौट आयी ! जैसे ही उसने घर मे कदम रखा, चारो ओर नज़र दौड़ाकर वो।बोली, " क्या है ये..? मैं बोलकर गयी थी न तुमसे, मैं आऊँ तब तक झाड़ू लगा लेना !!"

"नौकर हूँ मैं इस घर का.?" देव चिढ़कर बोला।

धारा उसे और छेड़ते हुए, " नौकर नही मालिक हो ! इस घर की देखभाल तुम्हारी जिम्मेंदारी है !!"


" अरे पुलिस वाला हूँ यार ! अगर अभी मेरी याददाश्त होती ना तो मैं किसी गवर्मेंट क्वार्टर में होता और वहां हर काम के लिए नौकर होते मेरे पास सरकार की तरफ से !!" देव ने गुस्सा होते हुए कहा।

धारा देव को यूं गुस्से में देख हैरान रह गयी ! आजतक देव बिना कहे ही घर का सारा काम अपनी मर्ज़ी से ही कर लिया करता था ! किंतु आज उसका यूँ गुस्सा करना कुछ अजीब लगा धारा को !

धारा ने पूछा देव से उसके गुस्सा होने का कारण ! पर देव बिना कुछ कहे ही रूम में चला गया! धारा उसके पीछे रूम में पहुंची !
देव बेड पर अपने हाथों में चेहरे को छुपाकर बैठा था ! धारा ने उसके बगल में बैठते हुए देव के कंधे पर हाथ रखा !
देव ने धारा का हाथ झटक दिया अपने कंधे से ! और उठकर खड़ा हो गया बाहर जाने के लिए ! जैसे ही देव बाहर जाने के लिए मुडा, धारा ने उसका हाथ पकड़ लिया !

देव का हाथ तप रहा था ! धारा ने झट से देव का चेहरा अपने हाथ मे लिया ! एक पल को तो धारा डर ही गयी उसका चेहरा देखकर ! देव की आंखे सुर्ख लाल हो रही थी और चेहरा भी गर्म हो रहा था ! अचानक ही देव को तेज बुखार चढ़ गया था !
धारा को समझते देर नही लगी कि ये सब तनाव लेने की वजह से हुआ है !! चाहे देव धारा को दिखा नही रहा था मगर अंदर ही अंदर उसे भी बहुत चिंता सताए जा रही थी ! वो अपना तनाव धारा के सामने जाहिर नही होने देना चाह रहा था !!

धारा उसे बाहर हॉल में लेकर आई और सोफे पर बैठ गयी ! देव भी उसके बगल में ही बैठ गया ! धारा ने देव का सिर अपनी गोद मे रखकर उसे सोफे पर ही लिटा लिया और हल्के हाथों से उसके सिर को दबाते हुए बालों में उंगली फिराने लगी !!

देव को बहुत आराम मिलता धारा के ऐसा करने पर ! देव ने अपनी आंखें बंद कर ली ! थोड़ी ही देर में वो गहरी नींद के आगोश में था ! धारा थोड़ी देर तो वैसे ही बैठी रही फिर उठकर रूम में गयी और एक ब्लैंकेट लाकर देव को ओढ़ा दिया !!
उसने कुछ देर सामने वाली चेयर पर बैठके देव को देखा फिर उठकर उसके सिरहाने आयी और हल्के से देव के माथे को चूम लिया ! देव नींद में ही मुस्कुरा उठा !! धारा ने उसके चेहरे की स्माइल देखी, और खुद भी मुस्कुरा उठी !!

धारा उठकर बाहर बालकनी में आकर खड़ी हो गयी ! कुछ देर तक इधर उधर देखती रही ! फिर वापस अंदर आ गयी ! धारा के दिमाग मे अब तक पासवर्ड ही घूम रहा था ! जाने कितने पासवर्ड सोच चुकी थी वो पर किसी नतीजे पर नही पहुंची !

धारा ने सोचा, " क्यों ना वही पर पासवर्ड खोजा जाए जहां से सीडी मिली !!" और वो सीधे देव के रूम में पहुंच गई ! धारा ने फिर से पूरी लाकर को अच्छे से देखा ! फिर जहां से उसे छोटी सी की मिली थी वहां पर भी देखा !
धारा को जहां जहां चाभिया मिली थी धारा ने हर उस जगह को देख लिया ! मगर कुछ नही मिला !

धारा फिर से निराश होने लगी थी कि उसकी नज़र दीवार पर लगे हुए फोटज़ पर गयी !! धारा की आंखों में चमक आ गयी ! वो फुर्ती से गयी और एक चेयर दीवार से लगाकर उसपर चढ़ गई और फोटोज़ को कील में से निकालकर देखने लगी ! धारा फ्रेम में से फ़ोटो निकालकर देखती ! फ्रेम को उलट पुलट कर देखती ! तीन फ्रेम्स को चेक करने के बाद चौथे फ़ोटोफ्रेम उठाई ! धारा ने उसका फ़ोटो भी बाहर निकाला ! बड़े ध्यान से देखने पर उसमे उसे एक स्लीप मिली जो फ़ोटो से चिपकी हुई थी !!

धारा ने बड़ी ही सावधानी से उस स्लीप को फ़ोटो से अलग किया ! उस स्लीप पर अंक और इंग्लिश से कुछ लिखा हुआ था,
1 L0v3 ¥●U M44-P44 & D

साधारण भाषा मे में तो वो ," आई लव यू माँ-पा एंड ड़ी लिखा हुआ था ! मगर धारा फिर भी कंफ्यूज़ हो रही थी !
।धारा ने एक पेपर और पेन उठाया और उस पासवर्ड को अलग अलग तरीके से लिखने लगी !
1034444
LvUMPD
¥●-&

धारा ने कई तरह से उस पासवर्ड को लिखकर देखा पर किसी नतीजे पर नही पहुंच पाई ! जब कोई निष्कर्ष नही निकला तो वो उस पेपर को उठाकर वो बाहर हॉल में आ गयी !

पासवर्ड के साथ ही एक और बात धारा को खाये जा रही थी ! वो थी उस पर्ची में लिखा आखिरी अक्षर "डी" !
धारा खुद से ही बोली, " डी मतलब क्या..? दिव्या या देव..? हे भगवान ! एक प्रॉब्लम सॉल्व नही होती दूसरी पहले ही आ जाती है ! प्लीज़ अब कुछ तो दया दिखा दो भगवान हमपर !!"

"भगवान..??" धारा ने फिर से दोहराया और सीधे मंदिर की ओर भागी ! उसने झट से अपने हाथ जोड़े और मंदिर में रखी रामचरितमानस को उठाया ! जहां से धारा को एक की मिली थी धारा ने वही पन्ना खोला ! ध्यान देने पर धारा ने पाया कि एक चौपाई की हाईलाइट किया हुआ था !

हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम!
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम!!


चौपाई पढ़कर धारा ने जाने कितनी बार दोहराई होगी ! पर बार बार उसे एक ही बात ध्यान में आ रही थी कि इस चौपाई में ऐसा कौन सा राज़ है जो इसे हाई लाइट किया हुआ है !!"

"इसमें हनुनाम जी राम जी का काम किये बिना विश्राम नही करने की बात कह रहे हैं..!! इसके अलावा और क्या हो सकता है..??" धारा ने खुद से ही कहा।

"कुछ भी हो सकता है !!" किसी की आवाज़ आयी।

धारा हड़बड़ा गयी ! मुड़कर देखा तो देव था ! जो अब भी नींद में झूल रहा था और चौखट के सहारे सिर टिकाकर आंखे बंद किये खड़ा हुआ था !!

उसे ऐसे देख धारा को हंसी आ गयी ! धारा ने जाकर उसका फीवर चेक किया ! "तुम्हे अब भी बुखार है देव ! तुम चलो मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ ! उसके साथ बिस्किट खाकर दवाई ले लो !!"


धारा ने किचन में जाकर चाय चढ़ाई और अपने मोबाइल पर किसी का नंबर डायल किया ! धारा मोबाइल कान से लगाकर, " हेलो ! विमलेश अंकल !!"

"जी मैडम कहिए !!" विमलेश फ़ोन रिसीव करते हुए बोले।

"यहां आसपास को मंदिर है क्या सोसायटी में..?" धारा ने पूछा !!

"है ना मैडम ! एक मंदिर है ! सोसायटी के मैन गेट से लेफ्ट साइड में हनुमान जी का मंदिर है !! उस मंदिर का नाम राम मंदिर है !!" विमलेश जी ने धारा को बताते हुए कहा।

"मंदिर हनुमान जी का है और नाम राम मंदिर..??" धारा ने हैरानी से पूछा !

विमलेश, "जी मैडम ! हनुमान जी का ही है! पर हनुमान जी रामभक्त थे ना ! इसलिए ! और उस मंदिर में हज़ारों बार राम नाम लिखा हुआ है ! पर आप क्यों पूछ रही हैं..??"

"हाँ वो, मैं जब से आई हूँ तब से किसी मंदिर नही गयी ना इसलिए ! तो सोच रही थी बाहर कहां जाऊँ.? यहां पर भी मंदिर तो होगा ही !!" धारा ने कहा।

विमलेश, "अच्छा ठीक है मैडम ! और कोई सहायता चाहिए हो तो कॉल कीजियेगा !!"

"हाँ ठीक है !!" बोलते हुए धारा ने कॉल कट किया और देव के लिए चाय छानकर पहुंच गई उसके पास !

धारा ने देव को चाय और बिस्किट और दवाई देते हुए कहा ! "ये लो फटाफट से ये पियो और दवाई खाओ ! मैं तबतक बाहर मंदिर से आती हूँ !!"

"ठीक है !!" देव ने बिना किसी अन्य प्रश्न के चाय पी और दवाई लेकर वापस लेट गया !

धारा मंदिर में से दिया-बाती, प्रसाद लेकर बाहर आई और जाने से पहले देव के सिर को सहलाया ! देव ने आंखे खोलकर उसे देखा तो धारा ने कहा, " मैं आती हूँ अभी ! बाहर से गेट लॉक कर के जा रही हूँ तुम अंदर से बन्द कर लेना!!"

देव ने हाँ में सिर हिलाया ! धारा ने फिर से मुस्कुराते हुए उसका सिर सहलाया और गेट लॉक करके मंदिर चली गयी !
धारा के जाते ही देव फुर्ती से उठा और गेट अंदर से लॉक कर सीधा धारा का लैपटॉप उठाया और उसमे सीडी ड्राइव को ओपन किया !
फोल्डर ओपन किया ! फिर से वही पासवर्ड ! देव ने पासवर्ड टाइप किया ! फ़ाइल ओपन हो गयी !

देव अपना सिर सोफे के कोने से टिका कर बड़ी ही कुटिल मुस्कान के साथ उस फ़ाइल को देखने लगा....!
देव ने फिर से कुछ टाइप किया और उस फ़ाइल को डिलीट कर वापस सो गया........




जारी....................


JP