Dhara - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

धारा - 16

देव हक्का बक्का सा धारा को ताके जा रहा था !!

धारा बोली, " क्या...?? यही सोच रहे हो ना, कैमरे कब और कैसे लगाए, क्यों लगाए...?? राइट !!"

देव ने हामी भरी।

धारा ने कहा, " तुम्हे याद है पासवर्ड नही मिल रहा था तो मैं वो सीडी लेकर मार्किट गयी थी, ताकि इसका पासवर्ड क्रैक करवा सकूँ...??"

देव ने सिर हिलाया।


धारा, " उसी दिन मुझे उस इंजीनियर की शॉप पर कुछ स्पाई कैमरे नज़र आये। सेफ्टी के लिए घर मे ये कैमरे लगे होना चाहिये, ऐसा मुझे ज़रूरी लगा था ! तो।मैंने ले लिए !! ये सोचकर कि, कभी हम घर पर ना हो और हमारे पीछे कोई घर मे आकर छेड़छाड़ करे या हम घर मे ही हो, तब कोई हमारी नज़रो में धूल झोंक कर कुछ कर जाए......क्या भरोसा किसी का..? या फिर कभी हमारे आसपास ऐसे कोई संदिग्ध हों, जिन्हें हम पहचानते नही तो उनके लिए भी ये कैमरे लगे होना जरुरी है....इसलिये ले लिए !!"


धारा के तर्क देव को ठीक लगे !! पर फिर भी उसे धारा पर पूरी तरह विश्वास नही हुआ ! उसने पूछा, " तुमने घर मे कैमरे लगाए है, ये बात मुझसे छुपाने की क्या आवश्यकता थी...? मुझे तो बता ही सकती थी ना तुम !! और यहां भी इतना नाटक किया, कैमरे की बात सुनकर, जैसे तुम सच मे ही सदमे में चली गयी !! कितना डर गया था मैं...पता है तुम्हे !!
मुझे लगा पता नही कौन ये कैमरा लगा गया घर मे, कब से हमारी हर एक्टिविटी पर नज़र रखे हुए है, हमें देख रहा......!!"


धारा, " छुपाने की बात तुम कर रहे हो देव...?? तुमने भी तो मुझसे छुपाया की तुम्हे याद आने लगा है धीरे-धीरे..!! और वैसे भी मैं तुम्हे उस दिन ही ये बात बताने वाली थी, पर तुम पता नही क्या सोचो, ये सोचकर नही बताया !! पर अच्छा ही किया जो नही बताया ! वरना तुम्हारी असलियत मेरे सामने कैसे आती...!!"


देव प्रश्नवाचक दृष्टि से धारा को देखने लगा ! उसने थोड़े असमंजस में कहा, " मेरी असलियत मतलब...??"


धारा, "तुम्हारी असलियत मतलब, ये की तुम्हारी याददाश्त वापस आने लगी है ये बात मुझे इन्ही कैमरे की वजह से तो पता चली ! तुम रोज़ रात को उठकर घर की तलाशी लिया करते थे, ये बात तुमने बताई कभी...?? वो तो भला हो इन कैमरों का जो इनकी रेकॉर्डिंग से पता चल गया !! और अब भी तुम झूठ ही बोल रहे हो, आधी बात ही बता रहै हो मुझे...!"


देव नज़रें चुराने लगा ! इधर-उधर देखते हुए उसने कहा, " आधी बात मतलब..??"


धारा, "तुम्हे जितना भी याद आया, तुमने उसका आधा ही मुझे बताया है !!"


अब देव क्या कहता उसे..? उसे दिव्या के साथ हुई अपनी सगाई होने वाली है ! और उसे किसी का कॉल आता है यहां तक कि तस्वीर तो क्लियर हो चुकी थी ! मगर एक्सीडेंट वाला वाकया अभी भी धुंधला ही नज़र आता उसके ज़ेहन में !!

देव सिर खुजाते हुए धीरे से खुद से ही बडबडाया, "हां तुम्हे बता दूं, कि दिव्या से मेरी सगाई होने वाली थी, ये बात याद आ चुकी है मुझे !! ताकि तुम ओर दूरी बना लो मुझसे ! और जो एक उम्मीद की किरण मुझे हमारे रिश्ते को लेकर नज़र आ रही है वो भी खत्म हो जाये !!"


धारा, "ये क्या बड़बड़ाते रहते हो तुम अपने आप से !!देव.... बहाना खोजने की बिल्कुल जरूरत नही है समझे तुम !! तुम मुझे सच्चाई बताओगे वो भी पूरी तरह से !!"


देव, " हां तो आधी सच्चाई क्या होती है..??"


धारा, " जो तुमने बताई है वो! वो है आधी सच्चाई !! देव, मैं अपना सबकुछ छोड़कर यहां तुम्हारी मदद के लिए आई हूँ और तुम मुझसे ही सबकुछ छुपा रहे हो..!! व्हाई देव..??"


देव, "अगर मैं ये सब तुम्हे पहले ही बता देता तो तुम मुझे छोड़कर चली जाती !!"


" वो तो मैं अब भी जा सकती हूँ !! और तुम चाहकर भी नही रोक पाओगे !!" बोलते हुए धारा जाने लगती है !
देव उसका हाथ पकड़कर ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ जाता है ! धारा और आसपास जो थोड़े बहुत लोग थे सब उन दोनों को देखने लगते हैं।

धारा को ऑकवर्ड फील होता है ! वो देव से हाथ छुड़ाती है, मगर देव और कस लेता है!!

धारा चिढ़कर कहती है, " क्या है ये देव..?? क्यों खिजाने वाली हरकतें करते रहते हो...? उठो प्लीज़! सब हमे ही देख रहे हैं !!"


देव, "नही जब तक तुम मुझे मेरे एक सवाल का जवाब नही देती, तब तक मैं कहीं नही जाऊंगा और ना ही तुम्हे जाने दूंगा !!"


धारा जानती थी, देव से इस वक़्त कुछ भी कहने का कोई औचित्य नही है ! वो कोई बात सुनेगा ही नही ! अपनी मर्ज़ी चलाएगा ! और धारा वहां अपना तमाशा नही बनवाना चाहती थी, इसलिए उसने कहा, " ठीक है जल्दी पूछो, क्या सवाल है तुम्हारा...??"

"तुम मुझसे प्यार करती हो...??" देव का प्रश्न सुन धारा को गुस्सा आ गया ! उसने कहा, " कितनी बार ना सुनोगे तुम देव ! एक नही हज़ार बार कहूंगी, मैं तुमसे प्यार नही करती !!"


देव, " पर क्यों..?? क्या कमी है मुझमे..?? तुम जैसा चाहोगी, मैं वैसा बनने के लिए तैयार हूँ !! तुम बस एक बार हां तो कहो !!"


धारा, " तुममें कोई कमी नही है देव ! और मैं तुमसे प्यार क्यों करूँ..? कैसे करूँ, जब मेरे दिल में पहले से ही कोई और है! उसकी जगह ना तो मैं किसी ओर को दे सकती हूँ और ना ही कोई और वो जगह ले सकता है !!"


देव, "लेकिन क्यों धारा..?? तुम मुझे अपना अतीत बताना नही चाहती हो , ठीक है मत बताओ...! तुम नही जीना चाहती अपना अतीत फिरसे ! पर फिर मेरे पीछे क्यों पड़ी हो यार, की मैं अपना अतीत याद करूँ और उसी के साथ जियूं..??"

धारा, " मेरा पास्ट बुरा था देव ! तुम्हारा नही !! तुम समझ क्यों नही रहे हो बात को !!"

देव, "मुझे कुछ नही सुनना बस !! तुम अगर मुझसे पीछा छुड़ाना चाहती हो तो अच्छी बात है !! तुम चली जाओ वापस इंदौर ! रह लूंगा मैं अकेला ! जब याद आना होगा सब तब आ जायेगा ! तुम्हे मेरी चिंता करने की कोई जरूरत नही है !! क्योंकि तुम अगर मेरे साथ रहोगी तो मैं खुद को तुम्हे चाहने से रोक नही पाऊंगा ! और तुम मुझसे प्यार कर नही सकती तो यही ठीक रहेगा ! हमे आज से ही अपने रास्ते अलग कर लेने चाहिए !!
तुम वापस लौट जाओ अपने काम पर ! मेरी वजह से वैसे भी बहुत छुट्टी हो चुकी है तुम्हारी !! अब और परेशान होने की जरूरत नही है ! तुमने मेरी जान बचाकर मेरे पापा मम्मी का एहसान चुका दिया है ! अब मुझपर और एहसान करने की कोई जरूरत नही है !
कुछ याद आना होगा आ जाएगा ! नही याद आएगा तो ना सही ! क्या होगा ज्यादा से ज्यादा...? कोई मार डालेगा मुझे !! तो ठीक है ना यार ! मरना तो है ही एक दिन ! कल नही तो आज , आज नही तो कल सही !!
जब मौत आएगी तो तुम कौन सा उसे रोक ही लोगी..?? इसलिए अच्छा यही होगा कि हम आज ही अलग हो जाएं! दर्द तो थोड़ा कम होगा ! बाद में तकलीफ ज्यादा होगी !!"

देव ने अपनी बात कही और बिना धारा की ओर देखे या उसका जवाब सुने जाने लगा ! धारा ने उसे आवाज़ लगाकर रोकना चाहा मगर देव नही रुका !!

"बहुत ही ड्रामेबाज इंसान हो तुम देव !! इतना कुछ कहा, मगर फिर भी अपनी पूरी सच्चाई नही बताई ! कब तक छुपाओगे.?? एक न एक दिन तो तुम्हारे मुंह सर सच उगलवा ही लुंगी मैं !!" धारा देव के पीछे भागी !

धारा ने देव की कलाई पकड़ी, देव ने हाथ झटक दिया!
कुछ ही दूरी पर दो तीन आवारा लड़के खड़े हुए धारा और देव को देख रहे थे !
देव के हाथ झटकते ही एक ने कहा, " अरे मैडम, वो हाथ झटक रहे हैं तो हमारा हाथ पकड़ लो ! कसम से एक बार पकड़ा तो छोड़ेंगे नही ! ना ही आपको छुड़ाने देंगे !"

धारा ने उन्हें हिकारत से देखा पर देव की आंखों में खून उतर आया ! वो उन्हें मारने के लिए आगे बढ़ा ही था कि धारा ने रोक लिया!
"रहने दो देव ! वाहियात लोग हैं ! तुम्हे उनके मुंह लगने की जरूरत नही है !!"

उनमे से एक लड़का फिर बोला, " इनके मुंह लगने की हमे भी जरूरत नही है !! हम तो आपके मुंह लगना चाहते हैं !!"
और साथ ही बगल में खड़े एक लड़के ने भद्दी सी गाली दी।


इस बार धारा का खून खौल गया ! धारा ने देव से कहा, " अपने कानों पर हाथ रखो !!"

"क्या...??" देव हैरानी से बोला !

धारा ने फिर वही दोहराया! देव ने अपने हाथों से दोनो कान ढंक लिए !!


धारा थोड़ी सी आगे आई और उन तीनों लड़को को खूब सारी भद्दी से भद्दी गालियां दे डाली ! उन लड़कों को उम्मीद नही थी शायद इसकी ! वे सब एकदूसरे की शक्ल देखने लगे हैरानी से !!

सही है, जब कोई लड़का स्त्री विशेष को लेकर गालियां देता है तो किसी को कोई फर्क नही पड़ता, क्योंकि गालियां देना तो एक गहने के समान होता है पुरुषों के लिए ! लेकिन यदि वे ही गालियां कोई लड़की दे तो सब को वो लड़की घटिया और बेशर्म लगती है !

लड़के खुद पर ही शर्मिंदा हो गए ! धारा ने उनसे कहा, " क्यों, अभी इस लड़के ने गाली दी तो तुम दोनो उसे शाबासी देकर हंस रहे थे उस पर ! बहुत बड़ा काम किया था न इसने !
अब यही गालियां मैंने तुम्हें दे दी तो बोलती बंद क्यों हो गयी...??"
चाहती तो इससे भी घटिया गालियां दे सकती थी तुम्हे..! पर वो सब मेरे संस्कारो में नही है !! चाहे दूसरों की माँ बेटियों की इज़्ज़त को उछालना आपकी मर्दानगी होती होगी, पर जब वही सब हमे सुनने को मिलता है ना, तो सारी मर्दानगी निकल जाती है !!"

धारा ने देव के कानों से हाथ हटाया और उसे पकड़ के ले गयी अपने साथ ! तीनो लड़के उन्हें जाते देखते रह गए।

थोड़ी दूर जाने पर देव ने कहा, " ये गालियां कहां से सीखी तुमने..??"

धारा, " क्यों ? तुम्हे भी सीखना है..??"

देव, " छि ! गाली कोई सीखने की चीज़ है..!!"

धारा, " गालियां सीखनी नही पड़ती है देव ! अपने आप ही याद हो जाती है !! मैं अकेली रही हूँ ना शुरू से ! तो बस , कभी कभी सेफ्टी के लिए यूज़ कर लिया करती हूँ !!"

"लोग सेफ्टी के लिए हथियार यूज़ करते हैं, ये गालियां ! सच मे ही एंटीक पीस है ये तो !!" देव खुद से बडबडाया। फिर चलते चलते अचानक रुक गया !

धारा ने पूछा, " क्या हुआ..??"

देव, " तुम मेरे साथ क्यों चल रही हो ?? तुम्हे तो ट्रस्ट नही है ना मुझपर...?? क्या पता और कितनी बातें छुपा रखी हो मैंने तुमसे !!"

"टोंट मार रहे हो ! सॉरी न देव ! वो बस, मुझे लगा जैसे तुम्हे सब याद आ चुका है फिर तुम मुझे अपने पास रोकने के लिए नाटक कर रहे हो !! सच्ची में ! तुम्हे हर्ट करने का कोई इंटेंशन नही था मेरा !!" धारा में मासूम सी शक्ल बनाकर कहा।

देव , " धारा, ये बात तो मैं तुमसे भी कह सकता हूँ ! तुम भी मुझसर बहुत कुछ छुपा रही हो !!"

धारा हैरानी से, " मैंने क्या छुपाया...??"

देव , " बहुत कुछ छुपाया है ! तुमने कैमरे लगाए हैं घर मे ये बात तुमने मुझे बताई...?? तुमने कभी अपना अतीत मुझे बताया..?? धारा जिस तरह से तुम्हारा दिमाग चलता है ना, उस हिसाब से कोई डॉक्टर सोच भी नही सकता !! या तो तुम डॉक्टर नही हो या फिर कोई बात है जो तुम मुझसे छुपा रही हो !!"


धारा, "देव तुम शक कर रहे हो मुझपर !! मैं तुम्हारे लिए इतना कुछ कर रही हूँ और तुम मुझपर ही शक कर रहे हो !!"


देव, " शक करने की वजह भी तुम ही दे रही हो धारा !!"


धारा, " मेरा शार्प माइंड है इसलिए तुम ऐसा कह रहे हो !! देव...तुम्हे समझना चाहिए , जब एक लड़की बचपन से लेकर बड़े होने तक सर्वाइव करती है तो उसे चंट बनना पड़ता है !! इस दुनिया मे तरह-तरह के लोग हैं ! उन लोगो की भीड़ में स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए एक लड़की का तेज होना जरूरी है !! वरना घटिया और गिरे हुए लोगो की कोई कमी नही है ! कभी कभी इनसे निपटने के लिए इनके जैसा बनना पड़ता है !!"

देव ने कुछ नही कहा बस चल।पड़ा ! धारा ने फिर उसे रोका ! "अच्छा बाबा सॉरी ना !! अबसे शक नही करूँगी !! एटलीस्ट हमारी दोस्ती के लिए तो रुक जाओ !!"

देव के कदम वहीं थम गई ! धारा उसके सामने खड़े होकर, " मैंने तुमसे कुछ छुपाया, और तुमने भी बहुत कुछ छुपाया है मुझसे !!"

देव, " वाह ! तुम कुछ, और मैंने बहुत कुछ छुपाया है ! बहुत बढ़िया !!"

" ये तुम बात बात पर ताना क्यों मार रहे हो ! ठीक है ना ! दोनो ने बराबरी का ही छुपाया है ! अब हम घर पर चलकर एकदूसरे की सारी शंकाएं दूर करेंगे और अपनी दोस्ती की एक नई शुरुआत करेंगे !! बोलो मंज़ूर है...??" बोलते हुए धारा अपना हाथ देव की ओर बढ़ा देती है।

देव पहले कुछ सोचता है फिर धारा का हाथ थाम उसे खींचकर गले लगाकर कहता है, " हम्म, ठीक है ! यही ठीक होगा !"
धारा के होठों पर मुस्कान आ जाती है !!

देव और धारा के मन मे एक दूसरे के प्रति शक का बीज उग चुका था !! पर आपस मे ना जताते हुए दोनो ही एक दूसरे को झूठा विश्वास दिला रहे थे !!




धारा और देव घर के लिए निकल लिए और उनके पीछे ही वे दो आंखे भी जो उनके होटल आने से लेकर अब तक उनका पीछा कर रही थी !!
धारा और देव को इतने प्यार से गले लगते देख उन दो आंखों में खून उतर आया था ! उस व्यक्ति ने हाथ बन्द कर मुट्ठी बांधी और पास लगे पेड़ पर ज़ोर से मुक्का मार दिया, जिससे उसका हाथ लहूलुहान हो गया !!





जारी...........

(JP)