Dhara - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

धारा - 17

लड़ते-झगड़ते हुए धारा और देव सोसायटी में पहुंचे !! विमलेश उनका वैट कर रहे थे गेट पर ! जैसे ही दोनो पहुँचे वो उनका रास्ता रोकते हुए बोला, " कहाँ गए थे मैडम जी आप दोनो..??"

धारा, "वो हमलोग दिनभर घर मे पड़े पड़े बोर हो रहे थे इसलिए आज खाना खाने बाहर चले गए !!क्यों..? कुछ काम था..??"

विमलेश, " हां वो कोई मिलने आया था आप लोगों से...!!"

देव, " कौन..??"

विमलेश, " हम नही जानते सर ! देखा ही पहली बार उनको !! वो बोल रहे थे थोड़ी देर बाद आ जाएंगे !! "

धारा देव को देखकर, " कौन हो सकता है..?"

देव ने कंधे उचका दिए!

विमलेश, " मैडम जी ध्यान रखिएगा ! किसी पर विश्वास मत करिएगा आप !!"

धारा, " हम्म.....ठीक है ! हम लोग चलते हैं !!"

देव को तो कोई फर्क नही पड़ा मगर धारा को चिंता होने लगी ! "आखिर कौन हो सकता है..??" धारा मन ही मन सोच रही थी।

दोनो घर के अंदर पहुँचे ! देव ने घर मे घुसते ही कहा, " चलो, अब बताओ मुझे सबकुछ !!"

धारा, " सांस तो लेने दो !! घर मे घुसते ही शुरू हो गए तुम तो..!!!!"

देव, " हां, जब तक तुम्हारे पीछे न लगो, तब तक तुम कुछ बोलती भी नही हो..!!"

धारा कुछ सोचकर, "अम्म...हाँ तो मैं कौन थी, कहां से मिली ये तो तुम जानते हो !! मुझे डॉक्टर बनना था इसलिए तुम्हारे पापा ने मुझे शुरू से उसी ओर बढ़ाया !! फिर स्कूल, सब्जेक्ट सब मेडिकल फील्ड के हिसाब से ही चूज़ किये मैंने !!, मैंट्रेनिंग पीरियड पर थी अपनी !! जब पहली बार उससे मिली! एक्चुअली उसका एक्सीडेंट हुआ था ! वो उसी का ट्रीटमेंट के लिए आया था !!"

देव, " उसका मतलब किसका..?? नाम तो बताओ..??"

"उसका नाम.....!!" धारा नाम बताने वाली ही थी कि डोरबेल बज गए।

दोनो एकदूसरे को हैरानी से देखकर, " इतनी रात को कौन आया है...??"

देव, " पता नही !! शायद विमलेश अंकल जिसका बोल रहे थे वो ही हो !!"

" हम्म, चलो देखते है !!" धारा ने खड़े होते हुए कहा और टेबल पर रखा फ्लावरपॉट उठाकर पीछे कर लिया।
देव ने उसे हैरानी से तो देखा तो उसने कहा, "क्या....?? जरूरी है सेफ्टी के लिए!! क्या पता कौन आया हो...??"

देव ने सिर झटका और गेट खोलने पहुंच गया। देव ने जैसे ही गेट खोला, धारा कुछ हैरानी तो कुछ आश्चर्य से बोली, " आप..??"
देव भी हैरान था देखकर। "आप यहां..?इतनी रात को..??"

"हां मैं...?? आप लोग इतना चौंक क्यों रहे हैं...? शायद मेरा आना आपको पसंद नही आया..??" दरवाज़े पर खड़े व्यक्ति ने कहा।

"नही....ऐसी बात नही है डॉ नकुल !! आइए न अंदर आइए!!" धारा ने डॉक्टर नकुल से कहा।

डॉ नकुल अंदर आये। धारा उनसे बोली, " आप यहां अचानक इतनी रात को..?? क्या बात है सब ठीक तो है..??"

डॉ नकुल, "हां वो मैं यहां किसी से मिलने आया था..! होटल में आसपास रूम नही मिला तो सोचा आपसे हेल्प ले लूँ..! आई होप, यु डोंट माइंड !!"

धारा, "नही, नही...ऐसा कुछ नही है !! हमे तो खुशी होगी आपकी हेल्प करके !! आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए , तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है आपके लिए कुछ करें बदले में !! बताइये ना, क्या कर सकते हैं हम आपके लिए..??"

डॉ नकुल, " वो क्या है ना...मैं जब यहां आ रहा था तब रास्ते मे किसी ने मेरा पर्स चोरी कर लिया !! उसी में मेरे रुपये, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड वगेरह थे !! मैं होटल।में रुक जाता पर, वो.....

धारा, "अरे तो कोई बात नही ना...हमलोग कब काम आएंगे आपके...?? आप यहां रुक जाईये ! हमे भी आपके आतिथ्य का सौभाग्य प्राप्त हो जाएगा !!"

डॉ नकुल, " धन्यवाद डॉ धारा !!"

धारा, " अरे! इसमें धन्यवाद की क्या आवश्यकता !! अनजान शहर में अगर अपने ही काम ना आये तो क्या मतलब जान पहचान का..? वैसे डॉ नकुल, आपने कंप्लेंट तो कर दी ना चोरी की !!"

डॉ नकुल, " हां मैं पहले आपका एड्रेस ढूंढते हुए यहां आया ! यहां आकर पता चला आप दोनो कहीं बाहर गए हैं तो मैं पोलिसस्टेशन चला गया !!"

धारा, " ओह.... तो विमलेश अंकल शायद जिनके बारे में बोल रहे थे वो आप ही होंगे !!"

डॉ नकुल, " विमलेश अंकल वही ना...जो बाहर गार्ड है हैं..??"

धारा, " हां वही !!"

धारा और डॉ नकुल आपस मे बातें कर रहे थे ! और देव उन दोनों को बातें करते सुन रहा था !! और मन ही मन डॉ नकुल को कोस रहा था, " इन्हें भी अभी आना था ! कल आ जाते !! अब जाकर तो देवी जी मानी थी अपने बारे में बताने के लिए !! कबाब में हड्डी !! हुह !!"

"क्या...?? कुछ कहा तुमने अभी देव..??" धारा ने देव से पूछा! उसे लगा देव ने शायद कुछ कह।
देव इनकार करते हुए, " नही मैं कहां कुछ बोल रहा हूँ..?? कान बज रहे हैं शायद तुम्हारे..!!"

धारा ने खा जाने वाली नज़रो से देव को देखा फिर डॉ नकुल को देखकर झूठी हंसी के साथ, " आप दोनो बैठिए, मैं तब तक डॉ नकुल के लिए चाय कॉफ़ी लेकर आती हूँ !!"

देव ने नज़र डॉ नकुल के हाथ पर पड़ी ! जिसे वो जेब मे डालकर छुपाने की कोशिश कर रहे थे ! देव ने पूछा, " वैसे डॉ नकुल, ये आपके हाथ मे चोंट कैसे लगी..??"

धारा के कदम वहीं रुक गए। उसने पलटकर देखा ! वो डॉ नकुल के पास आकर बोली, "ओएमजी ! ये तो काफी लग गयी आपको डॉ नकुल !! लाइये मैं पट्टी कर देती हूँ !! आपने भी उसपर सिर्फ रुमाल बांध रखा है ! कहीं इंफेक्शन हो गया तो ..?? डॉक्टर होकर लापरवाही !!"

डॉ नकुल, " नही..नही डॉ धारा ! इट्स ओके ! छोटी सी चोंट है !!ठीक हो जाएगी !! डोंट वरि !!"

धारा, " ऐसे कैसे ठीक हो जाएगी.. कहीं...

"वैसे आपको ये चोंट लगी कैसे..??" देव ने धारा की बात काटते हुए कहा।

डॉ नकुल के सिर पर बल पड़ गए ! वे थोड़ा सोचते हुए, " आ, वो ये...हां वो ये मैं जब उस चोंर के पीछे भाग रहा था !तब पता नही कट गया कैसे..??"

"आपको चोंट कैसे लगी, ये बताने के लिए आपको इतना सोचना पड़ा..??" देव ने भौहें चढ़ाते हुए पूछा।
धारा ने उसे आंखे दिखाकर चुप रहने का इशारा किया।
देव चुप बैठ गया, पर उसके दिमाग मे डॉ नकुल को लेकर शक बैठ गया ! उसे लग रहा था जैसे डॉ नकुल झूठ बोल रहे हैं या शायद कुछ छुपा रहे हैं।

धारा देव।के रूम में से फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आई और डॉ नकुल के बगल में बैठकर उनका हाथ अपने हाथ।मे ले घाव के डेंटल से साफ करने लगी।

देव को अच्छा नही लगा धारा का यूँ डॉ नकुल की केअर करना ! जहां देव धारा और डॉ नकुल को देख अंदर ही अंदर जल भून रहा था वहीं डॉ नकुल एकटक बस धारा को ही देखे जा रहे थे ! देव ये बात नॉटिस कर रहा था और शायद धारा ने भी नॉटिस कर लिया था इसलिए उसने ड्रेसिंग करते टाइम एकबार भी नज़र उठाकर नही देखा !

जब देव से बर्दाश्त नही हुआ नकुल का ऐसे धारा को देखना तो वो बिल्कुल सीबीआई इंस्पेक्टर के अंदाज़ में उनसे प्रश्न करते हुए बोला, " वैसे डॉ नकुल ! आपके हाथ मे जो घाव है, उसे देखकर लगता तो नही की ये कट गया है ! ऐसा लग रहा है जैसे किसी खुरदुरी जगह पर आपने पूरी ताकत से मुक्का मारा हो ..??"

देव के सवाल से डॉ नकुल के चेहरे पर पसीना आ गया !! वो कोई बहाना सोचते हुए बोले, " वो जब मैं उस चोंर के पीछे भाग रहा था तब शायद हो सकता है किसी खुरदरी साथ से रगड़ा गया हो हाथ !! मूझे तो पता ही नही चला ! वो तो जब इसमें से खून बहने लगा और मुझे हल्की सी जलन हुई, तब मेरा ध्यान गया इसपर !!"
अपनी बात कह उन्होंने धारा को, फिर देव को देखा! जिसके चेहरे से ही पता चल रहा था कि वो डॉ नकुल की बात पर बिल्कुल विश्वास नही कर रहा है !!

देव कुछ और पूछे उसके पहले ही डॉ नकुल ने धारा से पूछा, " वैसे देव की तबियत कैसी है अब..??"

"ये सवाल तो आप मुझसे भी कर सकते थे डॉ नकुल !! इस सवाल का तो मैं ही बिल्कुल सही जवाब दे सकता हूँ आपको!!" देव डॉ नकुल के जस्ट सामने वाली चेयर पर बैठते हुए बोला।


धारा देव को देखने लगी! वो जिस तरह डॉ नकुल से सवाल कर रहा था धारा को थोड़ा अजीब लगा !

डॉ नकुल देव की बातों से एग्री करते हुए बोले, " हां ये भी सही है !! आप ही बता दीजिए, अब कैसी है आपकी तबियत..?? पहले से काफी सुधार नज़र आ रहा है !!"

"हां, डॉक्टर धारा के प्यार और केअर का नतीजा है !! जिस तरह से उन्होंने मेरा ध्यान रखा बता नही सकता मैं आपको !! रातभर मेरे सिरहाने जागकर मेरा सिर सहलाना !! टाइम टू टाइम दवाई देना, मेरे खाने पीने का ध्यान रखना !! सबकुछ इतना परफेक्टली करती हैं, जैसे एक वाइफ अपने हस्बैंड के लिए करती है !!" बोलकर देव ने धारा की ओर देखकर मुस्कुराया।

धारा कुछ परेशान हो गयी देव की बात सुनके !! कहीं डॉ नकुल देव की बातों का गलत मतलब ना निकाल ले।
धारा देव के मनोभावों को भी समझ रही थी। बोलने में डॉ नकुल भी कुछ कम नही थे। जवाब देना बराबरी से आता है उन्हें ! धारा को लेकर कहीं देव और नकुल दोनो सवाल जवाब के चक्कर मे बहस न करने लगे, ये सोचकर धारा ने बीच मे बोलना जरूरी समझा !

धारा डॉ नकुल से, " डॉ नकुल खाना खाया आपने...??"

डॉ नकुल, " नही वो....पहले अपने काम के फिर पर्स चोरी के चक्कर मे इतना उलझ गया कि समय ही नही मिला !! और फिर पैसे भी.....

धारा, "पैसों की चिंता क्यों कर रहे हैं आप..? और फिर ये भी आपका ही घर है !! आप बैठिए मैं, लाती हूँ कुछ बनाकर..!!"

डॉ नकुल, " आपने कब सीख लिया खाना बनाना...??"

धारा, " बस सीख लिए थोड़ा बहुत..! अब कब कैसे सीखा इससे क्या फर्क पड़ता है !! आप दोनो बातें कीजिये मैं लेकर आती हूँ कुछ !!"

धारा किचन में चली गयी! देव डॉ नकुल को देखकर मन ही मन बड़बड़ाया, "इतनी रात को यहां आया है ये..! मतलब यहीं रुकेगा आज !! आज तो ये मुझे कुछ जानने नही देगा धारा के बारे में ! कल कैसे भी करके ईसे जल्द से जल्द यहाँ से टरकाना पड़ेगा !!"

"देव...दो मिनट यहां आओगे !! मुझसे ये सूजी का डब्बा नही उतर रहा !!" धारा ने देव को आवाज़ लगाकर बुलाया।

देव किचन में आकर डिब्बा उतारकर दिया और पूछा, " क्या बना रही हो..??"

धारा, " सोच रही हूँ चीले बना दू सूजी के...!! अब तुम जाओ, बैठो डॉ नकुल के पास !!"

देव दरवाज़े तक पहुंचा और वापस पलटकर धारा के से , " ओ हेलो..! क्या बोल रही थी तुम बाहर उस डॉक्टर से...?? इसे अपना ही घर समझिए..?? उसके बाप ने बनाकर दिया था मुझे ये घर..??"

धारा, "देव , थोड़ा धीरे बोलो ! डॉ नकुल सुन लेंगे तो !! बुरा लगेगा उन्हें!! और क्यों नही समझे वो इसे अपना घर...??"

देव, " क्योंकि ये घर मेरा है !!"

" हाँ ये घर तुम्हारा है ! पर जो तुम आज इस घर मे ज़िंन्दा खड़े हो ना, वो।डॉ नकुल की वजह से ही हो !! एहसान मानो उनका !! पता है कितनी हेल्प की है उन्होंने मेरी तुम्हे लेकर !!" धारा डॉ नकुल की साइड लेते हुए बोली।

देव की नज़र दरवाज़े पर पड़ रही छाया पर गयी। देव के चेहरे पर एक ज़हरीली मुस्कान आ गयी। डॉ नकुल दरवाज़े के पीछे छुपकर धारा और देव की बातें सुनने की कोशिश कर रहे थे !!
देव उन्हें जलाने के लिए सुनाते हुए धारा से बोला, "धारा ! जान तुम्हे याद है उस दिन जब मैंने तुम्हारे होंठो पर किस किया था..??"

देव के बोलते ही धारा ने चीले पलटने के गर्म पलटे को देव के हाथ पर धर दिया। "आह...!!" देव कराह उठा।

धारा, देव को चम्मच दिखाकर, " मुंह बंद रखो अपना, वरना अगली बार तवे पर चीला नही तुम बैठे नज़र आओगे ! समझे !!"

धारा फिर से तवे पर बेटर डालने लगी ! डॉ नकुल की परछाई को देखकर देव ने पीछे से धारा की कमर में हाथ डालकर उसके कंधे पर अपना चेहरा रख दिया।
देव को खुद से अलग करने के चक्कर मे धारा की नज़र डॉ नकुल पर गयी !

धारा और देव को इस तरह देख, डॉ नकुल हड़बड़ा गए !! " ओह आई एम सॉरी !!" और बाहर निकल गए।

धारा ने एकदम गुस्से में देव को घूरा ! देव ने अपने कान पकड़ लिए।

धारा ने डॉ नकुल के लिए खाना लगाया और उनके पीछे भागी ! और उसके पीछे देव बड़ी ही शान से मुस्कुराते हुए बाहर आया ! आखिर वो जो डॉ नकुल को दिखाना चाह रहा था उसमे कामयाब जो हो चुका था !!

डॉ नकुल के खाना खाने के बाद धारा उनसे बोली, " डॉ नकुल मैंने आपका बिस्तर देव के रूम में ही तैयार कर दिया है,! आप आज उसके रूम में ही सो जाइये !!"

" आप कहाँ सोएंगी डॉ धारा...???" डॉ नकुल के सवाल से देव और धारा दोनो ही चौंक गए ! देव को गुस्सा आया तो धारा को थोड़ा अजीब फील हुआ डॉ नकुल के इस तरह पूछने पर !

डॉ नकुल ने कहा, " नही...कुछ गलत मत समझियेगा..!! वो क्या है ना, यहां मुझे बस एक रूम एक हॉल और एक किचन ही नज़र आ रहा है !! अगर मैं और देव अंदर रूम में सोए तो मतलब आप यहां हॉल में सोएंगी..!!"

देव, "गलत नज़र आ रहा है आपको !!"

डॉ नकुल, " जी...??"

देव, " एक कमरा, हॉल किचन नही....दो बैडरूम, एक हॉल और किचन व मंदिर है !! लेफ्ट साइड में जो छोटा सा रूम नज़र आ रहा है वो मंदिर है और उसके बगल में हमारी डॉ साहिबा का रूम !!"

डॉ नकुल, "ओह, वो मैंने पूरा घर देखा नही ना ! तो मुझे मालूम नही था !!"

धारा, " कोई बात नही ! मैं दिखाउंगी आपको पूरा घर !!"

देव घबरा गया ! "धारा डॉ नकुल को घर दिखायेगी मतलब ये दोनो आपस मे बातें करेंगे !! और इनसे बात करने के चक्कर में धारा मुझे भूल जाएगी !! नही.......!!"
देव ने चौंकते हुए मना कर दिया ! " इतनी रात को क्या दिखाना धारा ! सुबह दिख देना आराम से पूरा घर !!"

डॉ, नकुल, " या ही इज़ राइट !! वैसे भी अभी तो कल भी मैं यही हूँ !! अभी देखेंगे तो आप जल्दबाजी में घर दिखाएंगी ! कल आराम दे दिखायेगा !!"
देव डॉ नकुल का चेहरा देखने लगा ! आखिर उन्होंने देव का दांव उसी पर जो चल दिया था ! बेचारा देव ये सोचकर ही परेशान हो गया कि कल भी डॉ नकुल उनके साथ ही रहेंगे !!"




जारी........

(JP)