love unknown to religion - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

धर्म से अंजान प्यार - 2

कियारा ने बोला क्या हुआ मम्मा आप कुछ क्यू नही बोल रहे हो । कहा है मेरे पापा । सब के पापा होते है मेरे पापा क्यू नही है कहा रहते है मेरे पापा। फिर भी कियारा की मम्मी ने कुछ नही बताया।
अब कियारा जोर जोर से रोने लगी। की मुझे बताओ कहा है मेरे पापा सब अपने पापा के साथ रहते है मुझे भी पापा के साथ रहना है अब कियारा की जिद बढ़ने लगी और उसकी मम्मी इसके आगे बेबस हो गईं। और फिर उन्होंने कियारा को बताया उसके पापा के बारे में।
उन्होंने बताया की।
में एक बहुत बड़े गाव के मुखिया की बेटी हूं । मेरे पापा गाव के मुखिया थे और हम राजपूत घराने से थे। मेरे पापा गाव के अमीर इंसान थे। हम तीन भाई बहन थे जिनमे से में सबसे छोटी थीं। मुझे सब बहुत ही प्यार करते थे। में बहुत बड़े स्कूल में पढ़ती थीं उसी स्कूल में हमारे सर थे जिनका नाम जायद खान था । उनका एक बेटा था जिसका नाम रेहान था । वो बहुत ही सुन्दर और अच्छा लड़का था में बचपन से उसे जानती थी और वो मुझे अच्छा भी लगता था। मगर मेने उसे कभी बताया ही नही । एक दिन अचानक में स्कूल नहीं गई और जब दूसरे दिन स्कूल गई तो पता चला की स्कूल में आज कोपिया चैक होंगी । मगर मेरा काम ही पूरा नही था। मेने सबसे कोपिया कोपिया मांगी मगर मुझे किसी ने भी कोपिया नही दी । तब अचानक से सर क्लास में आ गए और उन्होंने कोपिया चैक करना शुरू कर दिया। में पूरी तरह से डर गईं की अब मेरा क्या होगा। मगर तब ही रेहान मेरे पास आया और उसने मुझे अपनी कॉपी देदी । और फिर मेरी वजह से उसे बहुत पिटना पड़ा। उस दिन से वो मुझे और अच्छा लगने लगा। और फिर मुझे कुछ भी परेशानी होती तो में उसी के पास चली जाती थीं। वो मेरी सारी परेशानियां दूर कर देता था। जैसे की उसके पास कोई जादू हो। फिर में सुबह शाम उसी के बारे में सोचने लगी उसके सिवा मुझे और कुछ भी समझ नही आता था। फिर एक दिन मुझ से रहा नही गया और मेने सोच लिया की आज तो मै
रेहान को अपने दिल की बात बता के ही रहूंगी। और मेने उसे आज शाम को मेले में मिलने के लिय बोला । आज हमारे यहां बहुत बड़ा मेला लगने वाला था जिसमे खूब मजा आने वाला था। तो मेने सोचा की क्यू ना आज में अपने दिल की बात भी कह दू।
शाम हुई और आज में बहुत खुश थी और आज में बहुत सुंदर लग रही थी। मानों जैसे आज ही रेहान मुझे देख के मुझ से शादी कर लेगा। और फिर में मेले के लिय निकल पड़ी । मेने रेहान को जहा मिलने बुलाया था में सीधा वही पहुंची मगर रेहान वहा नही था मुझे बहुत बुरा लगा । मगर फिर में रेहान का इंतजार करने लगी । फिर थोड़ी देर बाद रेहान आया। बस फिर क्या रेहान को देखते ही मेने ना आव देखा ना ताव बस मेने उसे अपने दिल का हाल बता दिया । मेने रेहान से बोल दिया की में तुमसे प्यार करती हू। मगर रेहान को कोई खुशी नही हुई उसने मुझे सीधा मना करे दिया। और वहा से चला गया में वही बैठ के रोने लगी।