Dil ki Udaan - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

दिल की उड़ान - भाग 2

दोनों घर मैं शादी की ज़ोरशोर से तैयारियां चल रही थी . सुबह बारात आने की ही तैयारी थी. सुबह होते ही बारात ढोल नगारे के साथ तैयार थी. दूसरी तरफ सब लोग पल्लवी को तैयार करने मैं व्यस्त थे. थोड़ी देर बार बारात आ गई और सब लोग नीचे बारात देखने चले गए. उतने मैं पल्लवी को एक कॉल आता है तो वो थोड़ा धबरा जाती हैं और रूम का दरवाजा बंध कर देती हैं. थोड़ी देर मैं वो अपना सामान पैक कर लेती हैं और वो अभिनव से लिए हुए पैसे भी ले लेती हैं. वो अपना सामान लेके रूम की खिड़की से छलांग मार देती हैं . जैसे ही वो नीचे पहोचती है तभी उधर एक लड़का उसका इंतज़ार कर रहा था जो उसका बॉयफ्रेंड था. पल्लवी उसके साथ दिल्ली भाग जाती हैं. इसके बारे मैं घर मैं किसी को पता नही होता है. सब लोग अभिनव और पल्लवी की शादी की तैयारी मैं व्यस्त थे.

जैसे ही बारात अंदर प्रवेश करती हैं उसके बाद फूल हार के लिए कन्या को बुलाया जाता हैं . पल्लवी की माँ और उसकी बहन पल्लवी को लेने के लिए उसके रूम मैं जाते हैं तब रूम अंदर से बंध था. पल्लवी की माँ को लगा पल्लवी को कुछ हो गया हैं इसलिए उसने पल्लवी के पापा को बुलाया और बाद मैं रूम का दरवाजा तोड़ दिया. जैसे ही दरवाजा तोडा सामने ही खिड़की से रस्सी बांधी हुई थी और दुल्हन के कपड़े खुर्शी पे रखे हुए थे. इतना देखते ही पल्लवी की बहन की नज़र टेबल पर पड़ी हुई चिठ्ठी पर जाती हैं जिसमे लिखा होता है, " मैं किसी और से प्यार करती हु इसलिए मैं ये शादी नही कर सकती. पापा अगर आप मेरी बात मान लेते और मेरी शादी मेरे बॉयफ्रेंड के साथ करवा देते तो मुझ ये कदम नही उठाना पड़ता. मुझे माफ कर देना और हो सके तो मुझे भुल जाना अभिनव. मैंने सिर्फ तुमसे प्यार का नाटक किया था क्योंकि मुझे पैसों की जरूरत थी. " इतना ही बोलते घर मैं सन्नाटा हो गया . पल्लवी के माँ और पापा को चिंता होने लगी की अब वो नीचे जाके सब को क्या कहेंगे.

पल्लवी को नीचे आने मैं बहोत देर लग गई इसलिए अभिनव और उसकी फैमिली उपर पल्लवी के रूम मैं गए . रूम पुरा अस्त - व्यस्त था. पल्लवी की माँ और बहन रो रही थी तब पल्लवी के पापा ने अभिनव के हाथ मैं चिट्ठी रखी. चिट्ठी पढ़ते ही अभिनव के पैरो के तले से जैसे जमीन ही हिल गई. सब लोग परेशान हो गए पल्लवी के फैसले से और अभिनव तो जैसे अंदर से ही टूट गया. उसकी आँखों मैं आँसू आ गए . उसे तो इस बात पर यकीन ही नही हो रहा था की पल्लवी अब तक उससे प्यार का नाटक कर रही थी और वो भी सिर्फ पैसों के लिए. शादी के मंडप पे शोक का माहौल छा गया था.

थोड़ी देर बाद अभिनव और उसकी फैमिली उसके घर आ गई. अभिनवने ना तो किसी से बात की और नाही कुछ सुबह से खाया था. उसके दिमाग से पल्लवी का ख्याल जा ही नही रहा था. उसे ये सब एक भयानक सपने जैसा लग रहा था. पल्लवी अभिनव के लिए

सूरज थी जिसके बिना उसकी सुबह ही नही होती थी. वो एक चांदनी थी जिसके बिना उसकी रात भी नही होतीं थी. उसके जीने का, हँसने, रोने का एक वज़ूद थी.

बहोत देर से अभिनव ने अपने आप को रूम मैं बंध कर रखा था. उसके काफी बार पल्लवी को कॉल किया लेकिन एक भी बार पल्लवी का जवाब नही आया. अभिनव के घरवाले सब बहोत परेशान थे उसकी एसी हालत देख कर. रात को करीब आँठ बजे अभिनव के पापा रूम का दरवाजा खटखटाते है और उसे कुछ खाने के लिए कहते हैं. अभिनव फिर भी रूम से बहार नही निकलता और अंदर से ही खाने के लिए मना कर देता है. फ़िर उसकी बहन आरोही आती है और कहती है " अगर भाई आप खाना नही खायेंगे तो मैं भी नही खाऊँगी " इतना बोलते ही वो ज़ोर ज़ोर से रोना शरू कर देती है. उसके रोने की आवाज़ सुनते ही अभिनव अपने रूम का दरवाजा खोल देता है. अपनी बहन की तरफ देखता है और कहता है तुम क्यों रो रो रही हो? मेरी वज़ह से तुम क्यों भूखी रहोगी? इतना ही बोलते ही वो भावुक हो जाता है और आगे कुछ नही बोल पाता है. फ़िर आरोही अभिनव का हाथ पकड़ कर उसे खाने के लिए ले जाती है और दोनो भाई - बहन एक दूसरे के खिलाते हैं. ये सब उसके पापा बैठे बैठे देख रहे होते हैं और रोने लगते है. उसको आज अपनी पत्नी की याद आ गई अगर वो होती तो व दोनो बच्चो को संभाल लेती.

अभिनव के दिमाग से पल्लवी का ख्याल अभी तक नही गया था लेकिन वो अपनी बहन की वज़ह से आज जो हुआ उसको याद नही कर रहा था. रात को बहोत देर हो गई सब अपने अपने रूम मैं जाकर सो गए. अभिनव को नींद ही नही आ रही थी.उसको तो प्यार पर विश्वास ही नही रहा था. वो सोच रहा था की वो अपने सपने तक को प्यार मैं भूल गया था. यहाँ तक की उसके बिजनेस के लिए इकठ्ठा किये हुए पैसे भी उसने पल्लवी के बिजनेस के लिए दे दिये. अब उसके पास भविष्य के लिए कोई भी प्लान बचा नही था. वो अपने पापा से पैसे लेना भी नही चाहता था क्योंकि वो अपने पैरो पर कुछ करना चाहता था. उसको अपने आप और ज्यादा उसके प्यार पर गुस्सा आ रहा थाथा उसको जैसे प्यार नाम से ही नफ़रत हो गई थी. वो अब सब कुछ भुलाकर एक नई शरुआत करना चाहता था. उसने कल सुबह होते ही नौकरी शोधने का सोचा. उसका जैसे उसके मन पर काबु ही नही था. उसको पूरी रात नींद ही नही आ रही थी. पता नही अब कल का दिन अभिनव और उसके परिवार के लिए कैसा उगने वाला था. अभिनव अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित् और गंभीर था. अब देखते आगे अभिनव की ज़िंदगी मैं क्या होता हैं ये देखने के लिए पढ़ते हैं मेरे साथ "दिल की उड़ान" .।।।