Dil ki Udaan - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

दिल की उड़ान - भाग 4

अहमदाबाद शहर मैं एक नई सुबह हो चुकी थी. आज पूरे अहमदाबाद मैं सिर्फ अभिनव शाह की ही बाते हो रही थी. रेडियो और न्यूज़ वाले सब लोग अभिनव शाह का इंतज़ार कर रहे थे . अभिनव के घर मैं भी एक सोनेरी सुबह हो चुकी थी. आरोही भी भाई की कंपनी के उदधाटन के लिए तैयार थी. अभिनव और उसके पापा दोनो तैयार थे. अभिनव और उसकी फैमिली अपनी माँ से आशीर्वाद लेकर कार्यक्रम मैं जाने के लिए निकलती हैं. वहा पहोचते ही सब तैयारिया हो चुकी थी. अभिनव के वहा पहोचते ही सब मीडिया वाले उसकी और चले आये . उससे कंपनी के बारे मैं माहिती ली और थोड़ी देर मैं कंपनी का उदधाटन होने वाला था. उससे पहले अभिनव सब से कंपनी के बारे में बात करने वाला था. दस बजते ही कंपनी का उदधाटन होने वाला था लेकिन उससे पहले अभिनव आरोही को उसका सरप्राइस देने वाला था. अभिनव ने सबके सामने आरोही को भुलाया और कैची उसके हाथ मैं दी और कहा कंपनी के उदधाटन का शुभ काम उसकी बहन के हाथों होगा. ये सुनते ही आरोही बहोत खुश हो जाती है और अभिनव के गले लग जाती है. आरोही अभिनव से कहती है " भाई ये अब तक का सबसे अच्छा वाला सरप्राइस है " और फिर वो कंपनी का उदधाटन करती हैं. सब लोगो की तालियों की आवाज़ आती हैं . सब लोग दोपहर का लंच लेकर घर चले जाते हैं.

अभिनव और उसके पापा वहा काम कर रहे होते है और आरोही कंपनी देख रही होती हैं. एक के बाद एक लोग कंपनी मैं नौकर ढूढने के लिए आते हैं. अभिनव के पापा सब लोग को उसके अनुभव के मुजब काम पर रखते है और कल से नौकरी पर आने के लिए बोलते हैं. अभिनव अपनी बहोत जरूरी मीटिंग कर रहा होता हैं. इतनी जल्दी अभिनव की जिंदगी मैं सब कुछ बदल गया था की उसे किसी के बारे मैं सोचने तक का वक़्त नही था. अभिनव को अपनी ऑफिस मैं प्यार करने वाले लोग बिल्कुल पसंद नही थे. खास कर उसे लड़कियाँ पसंद नही थी. उसे बहोत बाते करना भी पसंद नही था. उसने अपनी कंपनी मैं सब के लिए कड़क नियम बनाये थे. कोई भी बिना वज़ह के आवाज नही करेगा. कंपनी मैं काम के समय पर कोई किसी से बात भी नही करेगा.

ऐसे ही धीरे धीरे अभिनव बहोत आगे निकल जाता है. उसके चर्चे नाही सिर्फ अहमदाबाद मैं पर पूरे गुजरात मैं होने लगते हैं . उसका बिजनेस बहोत ही कम समय मैं काफी उचाइया छु लेता हैं. वो पूरा दिन अपने काम मैं लगा देती हैं . कितनी बार उसे काम की वज़ह से बहार जाना पड़ता हैं. वो कभी कभी तो चार पांच दिन तक घर से बहार रहते हैं. अभिनव की शादी की उमर होती जा रही थी. अभिनव को शादी करने मैं कोई रस नही था . उसके पापा अभिनव के ऐसे स्वभाव से बहोत चिंतित थे. उसने कितनी बार अभिनव से इसके बारे मैं बात करना की कोशिश की परंतु अभिनव के गुस्से के कारण वो उससे बात नही कर पाते थे. अभिनव को उस दिन के बाद लगता था की सच मैं कोई किसी को प्यार नही करता. सब लोग सिर्फ उसके पैसों से ही प्यार करते हैं . इसलिए वो इन सब मैं अपना समय बर्बाद नही करना चाहता था. वो अपने काम पर ही ध्यान देना चाहता था.

अभिनव की कंपनी को एक साल पूरा हो चुका था. वो उसकी कंपनी के एक साल पूरे होने की खुशी मैं एक शानदार पार्टी देने वाला था. जिसमें बडे बड़े बिजनेसमैन भी आने वाले थे. अभिनव ने एक साल कंपनी को पूरा होने की खुशी मैं एक बड़ा प्रोजेक्ट करने के लिए हा कह दिया था. वो प्रोजेक्ट का काम अभिनव थोड़े दिनों मैं ही शरू करने वाला था. ये प्रोजेक्ट अहमदाबाद के विकास के लिए था इसलिए पूरा अहमदाबाद अभिनव के साथ था. ये गुजरात का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट था इसलिए इसके चर्चे पूरे गुजरात में हो रहे थे. सब लोग इस प्रोजेक्ट में अभिनव के साथ काम करना चाहता था लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ ही व्यकित को पसंद किया गया था. इस प्रोजेक्ट मैं अभिनव की टीम मैं पाँच व्यकित पसंद किये गए थे. अनुराग और अभय जो इस प्रोजेक्ट के लिए माहिती इकठ्ठा कर रहे थे. ये दोनो प्रोजेक्ट के लिए जरूरी जगह और अच्छे सामान की माहिती इकठ्ठा कर टीम को देते थे. दोनो ही काम के बहोत ईमानदार आदमी थे . उसको इस प्रोजेक्ट के बारे मैं पूरी जानकारी थी. मिताली और करण जो अनुराग और अभय से माहिती लेकर जरूरी चीज़े लाने का काम करते थे. ये दोनों ही बचपन से दोस्त थे और अभी एक दूसरे से प्यार करते थे. इस टीम की पाँचमी व्यकित थी उड़ान . जो अभिनव के साथ काम करने वाली थी . वो अभिनव की पर्सनल सेक्रेटरी थी. जो बहोत ही ज़ीदी और मस्तीखोर थी. पूरी टीम मैं ये सब की पसंदीदा व्यकित थी. इस प्रोजेक्ट के लिए अभिनव को बाहर जाना पड़ता हैं इसलिए उसके पापा इस बिजनेस को संभालते हैं. उसके पापा ने सभी व्यकित को इस प्रोजेक्ट के लिए पसंद किया हैं. जो सब लोग अपने अपने काम के लिए योग्य होते हैं.

इस प्रोजेक्ट के लिए अहमदाबाद से दूर एक गाव मैं छे सात दिन के लिए बाहर जाना पड़ता हैं . सब लोग घर जाकर अपना अपना सामान पैक करने लगते लगते हैं. सुबह के सात बजे सब लोग गाव के लिए रवाना होने वाले थे. सब सुबह होते ही अपनी कंपनी मैं इकठ्ठा होने वाले थे और साथ ही वहा से निकलने वाले थे . सब लोग अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर बहोत ही खुश थे. अगर ये प्रोजेक्ट कामयाब हो जाता है तो कंपनी को ज्यादा पैसा मिलने वाला था और देश की टॉप कंपनी मैं उसकी गणना होने वाली थी. ये प्रोजेक्ट अभिनव की जिंदगी मैं क्या नया मोड लाती है ये देखते हैं. क्या ये टीम अपना पूरा ध्यान इस प्रोजेक्ट को दे पायेगी. अभिनव की कंपनी का नाम टॉप कंपनी मैं आ पायेगा? अभिनव का ये प्रोजेक्ट कामयाब हो पायेगा या नही ये देखने के लिए आगे मेरे साथ पढ़ते है " दिल की उड़ान "