कसर

(20)
  • 5.1k
  • 977

ज़िन्दगी की उलझनों में तमाम जद्दोजहद के बाद भी कुछ ना कुछ रह जाता है। ऐसी ही कहानी है नीलिमा, अजय और रोहन की। अब क्या कसर रही ये तो पढ़कर ही मालूम होगा। आशा करती हूँ आप सबको पसन्द आएगी।