विजय पथ के अनुभव

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प्रथम कविता 1.(गुरमित राम रहीम ,हनीप्रीत ,साध्वी ओर निर्भया का तुलनात्मक कविता) जब देखता हूँ ऐसा, सोचने पर मजबूर होता हूँ, देख तमाशा बाबाओ का, मैं चुप, कैसे, रह सकता हूँ , एक ही गुनाह के दो रूप, दोनों, अपने में बड़े संगीन दिखते है, आज मैं तुलना, निर्भया की , साध्वी के पत्र से करता हूँ, द्वितीय कविता 2. सबक ओर सब्र ,तृतीय कविता 3.सुख और दुःख, चतुर्थ कविता 4.सपने ओर अपने,पंचम कविता 5. व्यक्तित्व