वह किसी तरह युवक के परिजनों को सांत्वना देकर और लोगों को कुछ कर ने का आश्वासन दे कर कर में बैठ कर ऑफ़िस आ गई ऑफ़िस में मन तो नहीं लगा लेकिन मन कर क्या? लगे या न लगे! जिम्मेदारियों से भाग तो नहीं सकती थी! वह सोचने लगी कि आखिर यह समस्या कैसे सुलझेगी उन्होंने कुछ समाज सेवी संस्थाओ को संपर्क किया और उनके प्रधान को अगले दिन आने का आग्रह किया अगले दिन शहर के कुछ सामाजिक संस्थाओं के प्रधान और पार्षदों के साथ उनकी मीटिंग थी सबसे पहली चिंता यह कि शहर में ये पशु आते कहाँ से हैं और गौशालाओं में इनका प्रबंधन क्यों नहीं हो रहा?