छुपम छुपाई

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वरुण बोला, रीवा मैंने कितना याद किया तुम्हें, तुमने तो जाने के बाद अपना पता भी नहीं दिया। तुमसे मिलने की कामना लेकर ही मैं बाबा अमरनाथ के दर्शन करने आया हूँ, बाबा ने मेरी मनोकामना पूरी कर दी, मैं धन्य हो गया, तुम सोच भी नहीं सकती कि आज मैं कितना खुश हूँ चाहे हमारे ऊपर मौत मंडरा रही है लेकिन मुझे इसका डर नहीं लग रहा