अधूरी अहमियत

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आठ साल के रिशु के दिमाग़ में एक भयंकर योजना बन रही है. अपने माँ-बाप को सबक़ सिखाना, जिन्होंने उसे पैदा तो कर दिया है, मगर पैदा करने के बाद जैसे उसकी उन्हें कोई ज़रूरत ही नहीं है. पापा सुबह-सुबह अख़बार लेकर बैठ जाते हैं. मम्मी को किचन में काम रहता है. फिर पापा और मम्मी दोनों तैयार होके ऑफ़िस चले जाते हैं. रिशु को स्कूल कभी घर में काम करने वाली नौकरानी छोड़ती है, तो कभी-कभी ग़लती से अगर उसके मम्मी-पापा को फ़ुर्सत मिल जाए, तो वो लोग. लेकिन ऐसा कम ही होता है.