बस्ती में संस्कार समारोह

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वर्तमान समय की शहरी संस्कृति में पल्लवित पुष्पित गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से आर्थिक विषमता जनित विसंगति को आधार बनाकर इस कहानी का सृजन किया गया है । बस्ती में संस्कार समारोह नामक प्रस्तुत कहानी में एक निर्धन निम्नवर्गीय बस्ती के कैनवास पर गैर सरकारी संगठनों की संवेदनहीनता और मिथ्या प्रदर्शन को प्रभावशाली ढंग से उकेरा गया है, जिसमें छिद्दा नामक अबोध बालक की भावनाएं आकांक्षाएं इतने आहत होती है कि वह अपने प्राण तक गँवा देता है ।