प्रभात की ऊषा

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शाम को जब ऊषा कार्यालय से वापस आई तो उसने प्रभात की माँ को अपने घर में बैठा पाया। घर में घुसते ही प्रभात की माँ ने ऊषा को अपने पास बिठा लिया एवं कहने लगी, बेटी! मैंने तेरे जैसी त्यागिनी, तपस्विनी, परोपकारी एवं सदाचारी लड़की नहीं देखी, मेरे पोता पोती बिन माँ के बच्चे हैं, क्या तू उनकी माँ बनना पसंद करेगी