वस्तुगत

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वस्तुगत कहानी में एक बेटी द्वारा उन रूढ़ियों पर प्रखर प्रहार किया गया है, जो संस्कृति एवं परंपरा की आड़ लेकर उसको अस्तित्वहीन बनाती हैं । वस्तुगत की बेटी कन्यादान जैसी देशव्यापी परंपरा पर प्रश्नचिन्ह लगाती है और अपनी मात्र इतनी-सी मांग रखती है कि उसे मनुष्य मात्र समझा जाए, वस्तु न समझा जाए ।