जितना छोड़ोगे उतना जोड़ोगे

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लालाजी की समझ में बात आ गयी, पंडित जी वापस गंगा घाट चले गए और लालाजी सब कुछ दान करके भगत बन गए जिनको लोगों ने नरसी भगत कहा, वही नरसी भगत जिसके पास अपनी बहन के यहाँ भात देने के लिए एक फूटी कौड़ी नहीं थी।