शाम का सूरज - NATIONAL STORY COMPETITION JAN 18

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वृद्ध जीवन की समस्या मार्मिक है बेटा प्रधान समाज में केवल बेटे की ही ज़िम्मेदारी नहीं है माँ-पिता को सम्भालना,बल्कि बेटियाँ भी आगे आ सकती हैं “ शाम का सूरज ” मेरे आसपास की ही नहीं बल्कि मेरी ख़ास सहेली की माँ की कहानी है जिसे मैंने ना केवल नज़दीक से देखा बल्कि इस मामले को निपटाया भी