मियां साहब बहुत देर के बाद आज मिल बैठने का इत्तिफ़ाक़ हुआ है। बेगम साहबा जी हाँ! मियां साहब मस्रूफ़ियतें....... बहुत पीछे हटता हूँ मगर ना-अहल लोगों का ख़याल करके क़ौम की पेश की हुई ज़िम्मेदारीयां सँभालनी ही पड़ती हैं