चरित्रहीन - 1

(18)
  • 4.7k
  • 2
  • 1.3k

आज के इस दौर में हम इंसानी जज़्बातों का अपने निजी तौर पे जो तर्जुमा, जो अनुवाद करते हैं वो किस हद तक सही है ये सवाल मैं एक अरसे से खुद से पूछता रहा हूँ। आख़िर ये सवाल सबके सामने उठाने का मेरे जी में ख़याल आया। जो रमता की कहानियाँ बनकर हमारे सामने उभरे। चरित्रहीन उसी कहानी संग्रह रमता का एक हिस्सा है।