इकबाल तुमने मेरी खूबसूरत आवाज़ के आधार पर मेरे सुंदर चेहरे की कल्पना की थी। उसे ही मन में बसाए हुए इतने दिनों तक मुझसे बात करते रहे। तुम्हारी दोस्ती भी उसी काल्पनिक सुंदर चेहरे से थी। लेकिन आज मेरा असली चेहरा देख कर तुमने मुंह फेर लिया।
यह कह कर शीरीन चली गई।