भावों का गुलदान

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कविताएॅं 1. मेरा अभिनंदन तुम्हें। स्नेह पुष्प है नमन तुम्हें, हे मातृभूमि! मेरा अभिनंदन तुम्हें। माटी कहती कहानी तेरी कोख से जनमें सपूत कई, शहीद वीरों को करुॅं भेंट सुमन। जो अपनी सॉंसें देकर, वादियों को गले लगाकर, भूमि को सेज बनाकर, पावन किए हमारा वतन। स्नेह पुष्प है तुम्हें नमन, मॉं के अश्रु से भींगा गगन पथराई ऑंखें राह निहारती पत्नी ,बच्चों का जो पूछो मन। आस न रही बाकी कोई, कहॉं गए जाने सजन ? बिटिया का टूट गया