अगस्त २०१८ की कविताएं और दिनचर्या

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अगस्त 2018 की कविताएं१.पुरानी बातें आज भी दोहरा सकता हूँ,जैसे आकाश साफ दिखता थामूसलाधार बारिश होती थीपढ़ाई पर सपना लिखा रहता थाकिताबों की प्रशंसा होती थी, शिक्षित होना अनिवार्य था,पर पढ़ने से अधिक वृक्ष लगानाऔर पेड़ों पर चढ़ना अधिक अच्छा लगता था,नदियों की कल-कल में बहुत दूर तक तैर लेते थे, पहाड़ी नदियां गंदी नहीं होती थीं,सबकी परिच्छाइयां बनाने में सक्षम थीं।पगडण्डी  मुड़ती थीइंतजार मन में उमड़ता- घुमड़ता था,झील पर  रूकना होता था,कभी लड़के गाते थेकभी लड़कियां गुनगुनाती थीं,पहाड़ भी अपनी ऊँचाई दिखाता था।जो प्यार किया स्वयं ही हो गया था,जैसे जनम अचानक हो जाता है।पुरानी बातें आज भी दोहरा सकता हूँ,जैसे