ढारस

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हिंदू सभा कॉलिज के सामने जो ख़ूबसूरत शादी घर है इस में हमारे दोस्त बिशेशर नाथ की बरात ठहरी हुई थी। तक़रीबन तीन साढ़े तीन सौ के क़रीब मेहमान थे जो अमृतसर और लाहौर की नामवर तवाइफ़ों का मुजरा सुनने के बाद इस वसी इमारत के मुख़्तलिफ़ कमरों में फ़र्श पर या चारपाइयों पर गहिरी नींद सो रहे थे।