स्वाभिमान - लघुकथा - 51

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“व्शी ....!!! जानेमन ! अकेले- अकेले कहाँ चल दीं ...हमसे कहा होता ...संग चल देते ” कराटे क्लास से घर जा रही प्रतिभा को सुनसान रास्ते में कुछ मनचलों ने रोक लिया सीटी बजाते हुए वे प्रतिभा पर कमेंट्स करने लगे प्रतिभा ने अपने कदम तेज कर लिए तभी दो मनचलों ने उसे आगे से घेरते हुए उसका दुपट्टा खींच लिया।