स्वाभिमान - लघुकथा - 55

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क्या करे अनी, समझ नहीं पा रही है ।क्या पापा से मर्सिडिज के लिए बोल दे या हमेशा के लिए समीर को छोड़कर पिता के घर चली जाये। इकलौती सन्तान है और करोड़ो की वारिस, पिता से कहकर मर्सिडिज मँगवाना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं है, पर ये व्यक्ति इतना बड़ा लालची निकलेगा ये अनी ने कभी सपने में भी न सोचा था । इसी के लिए वह माँ-बाप के सामने इतना रोयी थी, प्यार की दुहाई दी थी, हजार मिन्नतें की थी।