मुखौटे

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यामिनी की उड़ती हुई नज़र अपने पति सुदेश पर पड़ी. सुदेश को अपना बनाने के लिए, उसे ऐसे ही तमाम हथकंडे अपनाने पड़े थे. वे मल्टीनेशनल कम्पनी में नियुक्त, फाइव- फिगर सैलरी पाने वाले, आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी जो थे. उन सा सुपात्र भला कौन होता?? लेकिन देसी रंग- ढंग छोड़कर, मॉडर्न नाजोअंदाज में ढल पाना, आसान कहाँ था! क्या क्या पापड़ नहीं बेले!! भजन और गजल को साधना छोड़, मैडोना, माइकल जैक्सन और पिंक- फ्लॉयड म्यूजिक अलबमों की बारीकियां समझनी पडीं...लोकनृत्यों का जादू बिसारकर, डिस्को और सालसा के वीडियो खंगालने पड़े...चर्चित विदेशी फिल्मों और पुस्तकों की समीक्षा, कड़वी घुट्टी की तरह हलक से उतारनी पड़ी...