जिंदगी की कशिश

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अरे ओ बेटा उठजा देख दिन सर पर आगया है और बगल के भैया आफिस जा रहे है सब अपना काम कर रहे है तू अभी तक सोया है क्यों ऐसा कर रहा है चल उठजा ।तू ऐसे नही मानेगा माँ कम्बल खीचते हुवे । रुक जा माँ थोड़ा सा और सो लेने दे थोड़ी देर और अभी उठता हु न मैं जानती हूं बेटा तू कैसे उठेगा माँ उसका हाथ खीचते हुवे थोड़ी देर और सो लेने दे माँ परेसान मत कर बस थोड़ी देर और तेरा रोज का आदत बन गया है सूर्या तू ऐसे नही मानेगा रुक कहते हुवे माँ