उम्मीद

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कभी अपनों ने तो कभी गैरो ने दिल दुखायी है मेरी गैर तो फिर भी गैर थे बिखरने की नौबत तब आयी जब अपनों ने आईना दिखाया गम को छुपाते छुपाते वक़्त कही और ही चल गया और में वही अपनों के इंतेज़ार में बैठी रह गयी भीड़ में जब कभी आवाज़ आती हैँ तो लगता हैँ सायद किसी अपनों ने पुकारा हैँ मुझे पर वेहम भी अजीब हैँ ना ?. सरवत मत भाग उस रास्ते में जो कभी तेरा हुआ करता था वरना अँधेरे में घूम होकर रह जाएगी और लोग तुझे भूल जायेंगे कुछ पल कुछ पल तेरे साथ गुज़ारा वो गुज़ारे पल यू मेरी ज़िन्दगी मे उतर जाएगा