अरमान.

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1.जाने कितने अरमानों को खंगाला मैंने,बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला मैंने.। 2.अगर मस्जिद में तू है , मंदिर में तू है ,मंदिर में मस्जिद में नफरत फिर क्यूँ है? 3.रौशनी में भी उजाला ठहरता नहीं,अंधियारा अजीब है , पिघलता नहीं। 4.मन के सन्नाटे को खोल कभी,दिल के दरवाजे से बोल कभी। 5.तोड़ के जोड़ के मन्नत के धागे को,दे भी दोगे क्या तुम नसीब में अभागे को। 6.जो दौड़े हीं नहीं किसी भीड़ में यकीनन,वो क्या जाने हार कि खुमारी क्या चीज है। 7.बेहतर हीं था जो वो दाग दे गया,ठंडा था दिल मेरा आग दे गया। 8.अदालत जाने