समझ अपना अपना

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‘‘समझ अपना अपना‘‘रजनी एवं कमलेश पति-पत्नी थे। इनकी विवाहित जिन्दगी के लगभग पन्द्रह वर्ष बीत गये थे। कमलेश एक साफ्टवेयर फैक्ट्री का मालिक था। कार्य व्यस्तता के कारण देर से घर लौटता था।आज भी कमलेश रात में करीब एक बजे घर लौटा था। बिजनेस की एक जरुरी मीटिंग देर तक चली थी। कुछ विदेशी ग्राहक आये थे। कमलेश के काॅलबेल दबाने पर रजनी ने दरवाजा खोल दिया। रजनी की आंखें बोझिल थी। चेहरे से उदासी साफ झलक रही थी।​कमलेश ने पूछा - क्या बात है डार्लिंग, तबीयत तो ठीक है न। काफी बुझी-बुझी दिख