दयावान चोर

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एक समय की बात है| एक छोटे से गाँव में रघु नाम का व्यक्ति रहता था| उसे कोई ढंग का काम-काज मिल नहीं रहा था| मज़बूरी के चलते वह चोरी-चकारी के रस्ते पर चल पड़ा| पहले तो इस काम से उसे बहुत घिन्न आती थी| लेकिन समय बीतने के साथ अब उसे इस काम में मज़ा आने लगा था| भीड़ भाड़ वाली जगहों परा रघु बड़ी सफाई से लोगों की जेब काट लेता था| रघु की पत्नी सिलाई मशीन पर दिन रात काम कर के गुज़ारा करती थी| उसे पता था की रघु एक दिन बुरा फसेगा| वह रघु को