ठगिनी

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मरूस्थल के आठ गांवों में वह इकलौता ताल था, थे तो जेठ के गरम दिन, लेकिन रात ठंडी थी और चांदनी रात थी। ताल चांदी के तारों की कढ़ी हरी नीली चूनरी सा चमक रहा था। बगल से जाती आठ कोस की कच्ची - पक्की सड़क पर उसे अकेले जाना था।