आखिरकार मैं पिता हूँ. मेरी हथेलियों को ग्लानि नम कर गई है, जिसे मैं बार – बार पौंछ रहा हूं, अपनी पतलून से। वह लाल पोल्का डॉट वाली स्कर्ट में जो खड़ी है, अपने कॉलेज के गेट पर मुड़ कर मुझे देखती हुई, मेरी बेटी है। आज पहली बार मैं आहत हूं अपने आप से, वह मुझसे होगी ही और उससे जो आहत होकर .....जाने दें घबराहट होती है सोच कर।