हनुवा की पत्नी - 5

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‘सॉरी हनुवा मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतना नाराज हो जाओगी।’‘अरे कैसी बात कर रही हो? सांभवी तुम तो मेरी जान बन चुकी हो। नाराजगी शब्द तुम्हारे लिए मेरी डिक्सनरी में है ही नहीं।’ इतना कहते-कहते हनुवा ने कुछ ही देर पहले ही फिर से सामने आ बैठी सांभवी को गले लगा लिया। और जब उससे अलग हुई तो उसकी आंखें भरी हुई थीं। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें सुर्ख हो गई थीं। बहुत ही भर्राई आवाज़ में बोली।