सुरसा आंटी

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जून की कड़क गर्मी थी आसमान से लगता था की सूर्यदेव अग्नि की वर्षा करने में मग्न थे आमतौर पर जून किसी के लिए सुखदायक हो ना हो पर बच्चो के लिए तो ये वक़्त जी भर के जीने का होता है आखिर गर्मियों की छुट्टियां जो होती हैं सड़क पर क्रिकेट खेलते लड़के और बैडमिंटन खेलती लडकियां यूँ ही नज़र आते थे कुछ मोहल्लों में तो उपद्रवी बच्चों का ऐसा हुजूम घूमता था की मोहल्ले की महिलाएं बंदरों से ज्यादा उन बच्चों के समूहों से डरने लगी थी मानो बच्चे न हो चंगेज़