दीक्षा

  • 4.4k
  • 888

हम सात लोग एक दिन पहले ही एक्जीक्यूटिव आवास पहुंच गये थे। शाम को एक कमरे में बैठे थे। सब अपनी अपनी बातें कह रहे थे। धीरे-धीरे साधारण वार्तालाप बहस में बदल गयी। उड़ीसा से आया एक अधिकारी अंग्रेजों की प्रशंसा कर रहा था। बहस पक्ष और विपक्ष के कारण गरम होने लगी थी। मैंने वातावरण को मधुर बनाने के लिए अपनी तीन छोटी-छोटी रचनाएं सुनायी।"आँधियां हमने भी बनायी एक बार नहीं, कई-कई बार,तूफान हमने भी रचे एक बार नहीं, कई-कई बार।""प्यार को नमस्कार करने गया एक बार नहीं, कई-कई बार,कदम-कदम चला एक बार नहीं, कई-कई बार।""प्यार हमने भी किया एक बार नहीं, कई-कई बार,दुनिया