हथेली

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"जानते है पांडे जी गरीबी के साथ जब दरिद्रता आती है तब जीवन नर्क लगता है ,,,,' अपनी कटी हुई हथेली को देखते हुए राज ने कहा,, "पांडे जी, जब गावँ में हम चार भाई साथ साथ थे तब कुल एक बीघा जमीन की फसल से सबका परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो गया ,,, घर की जरूरतें जब पूरी न हों तो कलह,तनाव, और अशांति बनी रहती है,बात बात में ओरतों के बीच बहस होने लगती, तब मैंने ठान लिया कि अब यहां नही रहना है । मैं अपना परिवार लेकर शहर आ गया ,,चाचा चन्दकान्त जी ने मुझे बुलवा