ताईजी की रसोई

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निर्मला ताईजी की रसोई की महक तब भी पूरे मोहल्ले की रौनक थी और आज भी हैं। सब कुछ बदल गया निर्मला ताईजी की जिंदगी में लेकिन ये महक और खाने का स्वाद आज भी पहले दिन सा हैं। मेरे पापा उन्हें भाभी कहते थे। पुराने मोहल्लों की खासियत होती थी, हर पड़ोसी किसी ना किसी रिश्ते में बंध ही जाता था। अंकल आंटिया तब कहां होती थी। तब सब चाचे ताये मौसी बुआ सब परिवार। इसी तरह निर्मला ताईजी मेरी ताईजी थी। मोहल्ले में एक से बढ़कर एक सुघड़ गृहणियां लेकिन निर्मला ताईजी की बात सबसे अलग। किसी का