वो पहला पहला दिन

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वो पहला दिन कीर्ति का शादी के बाद, एक अजीब सी उलझन में सिकुड़ी बैठी अपने बेड पर, बार बार लोगो का आना जाना, उसे देखना, ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी अचंभित इंसान को कैद करके प्रदर्शन करने के लिए बैठाया गया हो, सुबह उठने के चक्कर मे रात कब आँखों ही आँखों मे निकल गयी ,उससे पहले रस्मों रिवाजों की थकान ने जकड़ डाला था, पर ये तो उसका फर्ज था, ना नुकुर किसे गवारा था, रात को सोते सोते 3 बज गए, उसमे भी हिदायत के साथ कि सुबह किरण निकलने से पहले तुम्हें नाहा कर तैयार