शरद पूर्णिमा

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कहानी~~शरदपूर्णिमा✒¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤शाम का सुहाना मौसम बाग़ के सौन्दर्य को बढ़ा रहा था,तो दूसरी तरफ कृत्रिम झरनों से फूटती कलकल की ध्वनि के साथ-साथ पक्षियों की चह चहाहट वातावरण को सुमधुर बना रही थी ।राजकुमारी पूर्णिमा अपने स्वर्णिम केशों को बिखराती हुई और नुपूरों को छनकाती हुई बाग़ में चहलकदमी कर रही थी कि तभी मुद्रा ने उनका हाथ पकड़कर उसे झूले पर बैठाते हुए कहा ---"राजकुमारी जी ! आपने स्वयंवर के लिए मना कर दिया और सैकड़ों राजकुमारों की तस्वीरों में से दो राजकुमारों को चुना,जिनमें से एक के साथ आप विवाह करेंगी तब क्या मुझे नहीं बताएंगी आपने दोनों में