सुरजू छोरा - 3

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तो घूमते हुए समय के पहिये के साथ उदय होने लगा था सूरजू का सूरज..., उसे बाजार में उतरना था अपनी कला को लेकर इसके लिये पूंजी की जरूरत थी, मां ने बकरियों की टोली बेचकर जुगाड़ किया और सुरजू बन गया ‘‘कजरी बुटीक’’ का मालिक। गहरी साजिश! सुरजू का चेहरा जलता अंगारा जैसे हो गया। कजरी, सुरजू के चेहरे पर आग देखकर बर्फ का फोहा रखती....