यह आषाढ़ का आकाश नहीं है

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रोज एक घर खाली हो रहा है। गॉंव जवार में एक ही खबर सुनाई पड़ती है। चौपाल से ले कर सीवान तक। आज फला अपने परिवार को लेकर अपने लड़के के पास शहर चला गया। आज फला अपने भाई के पास, आज फला अपने चाचा के पास ......... आज .........। ये सब लोग जब तक गॉंव में पानी की समस्या हल नहीं हो जाती, नहीं बहुरेंगे। यद्यपि यह भी हुआ है कि न बहुरने की प्रतिज्ञा करके गए कई परिवार दो—चार दिन में लौट आये हैं क्योकि शहरों का पानी भी चुक गया है। शहर की ऑंखों का पानी तो बहुत पहले चुक गया था। अब आकाश, धरती, नलकूप, तालाब, चॉंपाकल का पानी चुक गया है।