नर या मादा

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(१) माना कि समय के साथ बदलना वक्त की मांग है . पर आधुनिकीकरण और फैशन के नाम पे किसी तरह का पोशाक धारण करना , किसी तरह के हाव भाव रखना , किसी तरह की भाव भंगिमा बनाना , आजकल के युवा पीढ़ी के लिए आम बात हो गई है . बदलाहट के नाम पर युवा पीढ़ी जिस तरह की उलुल जुलूल हरकत कर रही है , उस कारण अनेक बार हस्यादपद परिस्थितियाँ हो जाती हैं. इन्हीं हस्यादपद हाव भाव और पोशाक धारण करने वालों युवकों पर परिहास करते करती हुई इस हास्य कविता की रचना की गई है. कवि का