कमसिन - 10

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चलो वापस चलते हैं ! पैदल का रास्ता पार करने में ही लगभग एक घंटा लग जायेगा ! अभी 4 बज रहे हैं ! और सूर्य देव भी मध्यम होने लगे हैं ! ये पहाड़ी इलाके बड़ी जल्दी अंधेरों में डूब जाते हैं ! ये पहाड़ रात की तन्हाई में पिघलते होंगे ! जब सारा जग सो जाता है तब ये अपनी कठोरता पर रोते होंगे ! जो सिर्फ दिखाने की होती है ! क्योंकि पहाड़ कठोर नहीं होते ! इनका दिल मोम की तरह मुलायम होता है कभी कभी इनको प्यार से सहला कर देखो, निहार कर देखो पता चल जायेगा ! कितने कष्ट सहते हैं ! फिर भी अडिग खड़े रहते हैं इनसे सीखो अडिग रहना ! भले ही टूटो बिखरो रोओ चीखो चिल्लाओ पर अपने निश्चय से मत डिगो ! तब देखना कैसे सब कुछ कितना सरल हो जायेगा क्योंकि कभी कभी जीवन में मधुरता लाने के लिए कठोर भी होना पड़ता है !