कमसिन - 23

(18)
  • 7.1k
  • 2.3k

भाभी, सुरीली सी आवाज में बोली ! अंदर आ जा न राशी, कल्पना ने कमरे में लेटे लेटे ही कहा। कितनी देर से वह इंतजार कर रही थी और अब आई तो बाहर से बुला रही है ये राशी भी अजीब है। वैसे भी उसके आने में थोडी सी भी देर हो जाये तो कल्पना का मन उदास हो जाता है और आज आने में इतनी देर कर दी । कमरे में आ गयी और उसके पास बैड पर बैठ गयी। क्या सोंच रही हो भाभी। आते ही उसने पूछा