एक औरत

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कमरे में बंद दरवाज़ों के भीतरी पल्लों पर जड़े शीशों से छन कर आती रोशनी बाहर धकलते बादामी रंग के परदे, नीम अँधेरे में सुगबुगाती सी लगती आराम कुर्सी, कोने में राखी ड्रेसिंग टेबल, बाथरूम के दरवाजे के पास रखा नारंगी रंग का पाँव पोश.... सब पर सन्नाटा तैर रहा था. कुछ पल पहले का हवा में तैर रहा उन्माद उच्चाट नीरवता को फैलाते हुए निचेष्ट पड़े शरीरों पर हावी होने लगा. किनारे पडी गुडी-मुडी बदन से खिसक गयी सफ़ेद चादर को पुनः खींच कर उसने उस पर ओढा दिया. इसी प्रयास में उसके खुद भी काफी शरीर ढक गया.