श्रेया-विस्तार

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सूरज दाहिनी ओर से निकल कर माथे पर चढ़ रहा था। लेकिन श्रेया को इसका शायद ही अहसास हो, आज वह पता नही अपने ही विचारो में खोई खोई सी बैठी थी। शायद सिल्वेस्टर गार्डन के डेस्क पर आज वो किसी के आने का इंतजार कर रही थी। आखिर वह कोन था, जिसके लिए उसके चहेरे पर इतनी बेचैनी थी…? बार बार दरवाजे पर ताकती उसकी नजर यह स्पष्ट कर रही थी कि जो कोई भी आने वाला था, वह उसके लिए बहोत ही खास होगा। लेकिन क्या यह सच था…? क्या कोई सच मे खास था…? श्रेया खुद भी